पहले ‘पिंजरे का तोता’ कहा, अब CBI की सहमति न मिलने से सुको चिंतित

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    यदि देश में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना है तथा विभिन्न राज्यों में हुए आपराधिक मामलों की गहराई से निष्पक्ष जांच करनी है तो केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई को वहां जांच करने की पूरी छूट दी जानी चाहिए. अपराध अन्वेषण के लिए यह आवश्यक है. अमेरिका में भी केंद्रीय एजेंसी फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (एफबीआई) देश के सभी 50 राज्यों में जांच के लिए अधिकृत है. आश्चर्य इस बात का है कि भारत के 8 राज्य बंगाल, केरल, महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान, झारखंड, छत्तीसगढ़ और मिजोरम अपने यहां सीबीआई को जांच की इजाजत नहीं दे रहे हैं. 

    उन्होंने किसी मामले की जांच-पड़ताल के लिए दी जानेवाली सामान्य सहमति वापस ले ली है. जाहिर है कि ऐसी स्थिति में मामले दर्ज करने की सीबीआई की शक्ति कम हो गई है. बैंक धोखाधड़ी से संबंधित लगभग 78 प्रतिशत मामलों में जांच के लिए सीबीआई को सहमति मिलना लंबित है और केवल 18 फीसदी में ही सहमति मिल पाई है. यह मुद्दा तब सामने आया जब सुप्रीम कोर्ट के ध्यान में यह बात आई कि 2018 के जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सीबीआई की अपील 542 दिनों की देरी के बाद दायर की गई थी. 

    इसके पश्चात सुप्रीम कोर्ट ने 8 राज्यों द्वारा अपने क्षेत्रों में सीबीआई जांच के लिए दी गई सामान्य सहमति वापस लेने पर चिंता व्यक्त की. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह वांछनीय स्थिति नहीं है और इसकी जांच की आवश्यकता है. विभिन्न हाईकोर्ट द्वारा सीबीआई जांच व ट्रायल पर रोक लगाने से भी मामलों की जांच में अत्यंत देरी हो रही है. सुप्रीम कोर्ट ने इसे गंभीरता से लेते हुए संबंधित राज्यों और हाईकोर्ट को नोटिस जारी किया तथा मामले को सीजेआई के पास भेज दिया ताकि इन 2 मुद्दों से निपटने के लिए नए मामले दर्ज किए जा सकें. 

    स्पष्ट है कि जिन राज्यों ने सीबीआई को अपने यहां एंट्री देने से इनकार किया है, वहां गैर भाजपा सरकारें हैं. स्वयं सुप्रीम कोर्ट ने भी एक अवसर पर सीबीआई को सरकार के ‘पिंजरे का तोता’ करार दिया था. ऐसी धारणा बनी हुई है कि केंद्र सरकार बदले की भावना से या विपक्षी पार्टियों व नेताओं को दबाने के लिए सीबीआई का इस्तेमाल करती है. केंद्र के निर्देश पर कभी जांच तेज तो कभी धीमी की जाती है या ठंडे बस्ते में डाल दी जाती है. जरूरत इस बात की है कि सीबीआई सचमुच एक स्वायत्त एजेंसी के रूप में जांच के लिए स्वतंत्र हो.