सरकार का यू टर्न, GST पर दी चुनावी राहत

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    चुनाव सामने देखकर फूंक-फूंक कर कदम उठाना सरकार की मजबूरी है. जनता खफा न हो जाए, इसका ध्यान रखना पड़ता है. यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी को कोई नुकसान न होने पाए इस लिहाज से 1 जनवरी से कपड़े पर जीएसटी 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत करने का निर्णय केंद्र सरकार ने सफाई से टाल दिया. इस वक्त ऐसा कदम उठाना अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने के समान होता.

    वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में गत शुक्रवार को हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक में टेक्सटाइल पर टैक्स बढ़ाने का फैसला वापस ले लिया गया. बैठक में तय किया गया कि टेक्सटाइल के जीएसटी रेट की समीक्षा करने के लिए इसे रैशनलाइजेशन कमेटी के पास भेजा जाएगा. यह कमेटी फरवरी में अपनी रिपोर्ट देगी. इसके बाद फरवरी के अंत या मार्च में इस रिपोर्ट पर मीटिंग से चर्चा होगी. 

    इस तरह सरकार ने प्रक्रिया की आड़ में यू टर्न ले लिया. तथ्य यह है कि देश के कपड़ा उत्पादन में असंगठित क्षेत्र का 80 प्रतिशत से भी अधिक योगदान है. वस्त्र आवश्यक वस्तु में शामिल है. होजियरी मैन्यूफैक्चर एसोसिएशन ने सरकार के जीएसटी बढ़ाने के इरादे पर गहरी चिंता जताई थी. उसका कहना था कि इससे देश का आम आदमी प्रभावित होगा और एमएसएमई सेक्टर (लघु व मध्यम उद्योगों) को भी इससे नुकसान होगा. 

    पहले ही कोरोना महामारी व लॉकडाउन के चलते इस क्षेत्र को काफी नुकसान उठाना पड़ा. उद्योग बंद हुए और भारी बेरोजगारी फैली. जीएसटी बढ़ाने की घोषणा से रिकवरी प्रभावित होती और यह उद्योग नए सिरे से संभल नहीं पाते. उत्तरप्रदेश, गुजरात, मध्यप्रदेश जैसे बीजेपी शासित राज्यों के अलावा महाराष्ट्र, तमिलनाडु और बंगाल ने जीएसटी बढ़ाने के कदम का विरोध किया था जिसके बाद जीएसटी परिषद को अपने फैसले पर रोक लगाने का निर्णय लेना पड़ा.