प्रशासकीय ढिलाई का नतीजा महाराष्ट्र फिर से लॉकडाउन की ओर

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    महाराष्ट्र में कोरोना के मामले फिर बढ़ चले हैं, जिसे देखते हुए राज्य में फिर से लॉकडाउन लागू किया जा सकता है. इस स्थिति के लिए प्रशासकीय ढिलाई और साथ ही जनता की लापरवाही जिम्मेदार है. जहां थोड़ी सी छूट मिली, लोगों की भीड़ सड़कों, बाजारों व होटल-रेस्टोरेंट में उमड़ पड़ती है. युवा पिकनिक मनाने निकल जाते हैं. वे भूल जाते हैं कि दो गज की दूरी और मास्क है जरूरी! सैनिटाइजर के इस्तेमाल व हाथ धोने के मामले में भी लापरवाही बरतते हैं. 

    समूचे विश्व के लिए जानलेवा बनी कोरोना महामारी से अब तक छुटकारा नहीं पाया जा सका. उसका डेल्टा वैरिएंट कहर ढा रहा है. ब्रिटेन, अमेरिका में भी हालात फिर बिगड़ रहे हैं. केरल और महाराष्ट्र में कोरोना का प्रकोप बढ़ गया है तथा तीसरी लहर की आशंका बनी हुई है. महाराष्ट्र की उपराजधानी नागपुर में निगमायुक्त रहते हुए तुकाराम मुंढे ने कोरोना नियंत्रण को लेकर सख्ती दिखाई तो उनका तबादला कर दिया गया था. व्यापारी संगठन व आम जनता रोजी-रोटी की दुहाई देकर नियंत्रण में शिथिलता चाहते हैं. यह तो ठीक है लेकिन कोरोना प्रोटोकाल के पालन में जब ढिलाई बरती जाती है तो यह महामारी फिर जोर पकड़ लेती है.

    नागपुर जिले के पालक मंत्री नितिन राऊत ने कहा कि जिले में 2 दिनों से कोरोना पॉजिटिव का आंकड़ा दहाई तक पहुंच गया है. सभी अधिकारी सहमत हैं कि जिले में तीसरी लहर की शुरुआत हो चुकी है जिसमें डेल्टा प्लस वैरिएंट का खतरा भी हो सकता है. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्य में सभी भीड़भाड़ वाले धार्मिक-राजनीतिक कार्यक्रम, रैलियां-मोर्चे स्थगित कर दिए हैं. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि त्योहार मनाने से अधिक महत्वपूर्ण लोगों का जीवन है. त्योहार आज नहीं तो कल आएंगे लेकिन यदि लापरवाही की वजह से किसी ने अपने परिवार के सदस्य को खो दिया तो उसकी भरपाई नहीं हो पाएगी. केरल में हर दिन 30,000 मरीज मिलना खतरे की चेतावनी है. यदि इसे गंभीरता से नहीं लिया तो महाराष्ट्र को इसकी भारी कीमत चुकानी होगी.