‘नमामि गंगे’ में धांधली, वरुण ने सरकार को आड़े हाथ लिया

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    केंद्र की मोदी सरकार को अपने तीखे प्रश्नों और बयानों से बीजेपी सांसद वरुण गांधी और सुब्रमण्यम स्वामी कई बार असमंजस में डाल देते हैं. अन्य कोई भी बीजेपी सांसद सरकार के लिए असुविधाजनक सवाल पूछने आगे नहीं आता, जबकि ज्वलंत मुद्दों पर पूरी हिम्मत के साथ वरुण गांधी अपनी बात रखते हैं. वे स्वयं को उन मतदाताओं के प्रति जवाबदेह मानते हैं जिन्होंने उन्हें निर्वाचित किया है. 

    अपनी ईमानदारी और बेधड़क सोच के चलते वरुण गांधी ने सीधे सवाल किया है कि ‘नमामि गंगे’ प्रोजेक्ट पर 20,000 करोड़ रुपए का बजट बना. 11,000 करोड़ रुपए खर्च करने के बावजूद गंगा में प्रदूषण क्यों है? गंगा तो जीवनदायिनी है, फिर गंदे पानी की वजह से मछलियों की मौत क्यों? वरुण ने टि्वटर पर एक वीडियो साझा किया है जिसमें गंगा प्रदूषित होने के कारण मछलियां मरने का दृश्य प्रमुखता से दिखाया गया है. 

    वरुण गांधी ने कहा तो नहीं लेकिन संभव है कि इस रकम की बंदरबांट हो गई होगी अथवा काम में ईमानदारी नहीं बरती गई. यदि गंगा में शहरों के सीवेज का पानी, कारखानों और चमड़ा उद्योगों का प्रदूषित जल मिलने से रोक दिया जाए तो निरंतर कल-कल बहने वाली गंगा पुन: निर्मल हो सकती है. दूषित जल और घातक केमिकल्स का अलग से निपटान हो तो गंगा की धारा स्वच्छ रखी जा सकती है. 

    सभी जानते हैं कि गंगा ही विश्व की एकमात्र ऐसी नदी है जिसका जल कभी बासी नहीं होता. बड़े बांधों की वजह से भी गंगा के स्वाभाविक प्रवाह में अवरोध आया है. गोमुख से निकली गंगा बंगाल पहुंचते तक हुगली नदी के रूप में काफी प्रदूषित हो जाती है. ‘नमामि गंगे’ प्रोजेक्ट में धांधली पर सरकार को स्पष्टीकरण देना चाहिए. 

    वरुण गांधी ने अग्निवीरों की भर्ती और बेरोजगारी का मुद्दा भी बेबाकी से उठाया था. उन्होंने कहा था कि सांसदों को वेतन और पेंशन के रूप में मोटी रकम मिलती है. कोई एक टर्म भी सांसद रहे तो जिंदगी भर के लिए पेंशन सुनिश्चित हो जाती है लेकिन अग्निवीरों को न प्रमोशन है, न पेंशन. इनका 4 वर्ष बाद क्या भविष्य रह जाएगा? वरुण गांधी के प्रश्नों पर सरकार का चुप्पी साध लेना आश्चर्यजनक है.