बैंकों का प्राइवेटाइजेशन नहीं, हड़ताल के बाद वित्तमंत्री की संसद में घोषणा

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    सरकार कुछ मुद्दों पर एक कदम आगे बढ़कर स्थिति अनुकूल नहीं होने से दो कदम पीछे हट जाती है लेकिन फिर भी उसके इरादों को लेकर संदेह बना रहता है कि मौका देखकर वह फिर अपनी बाजी चलेगी. विनिवेश या सरकारी संसाधनों की बिक्री कर सरकार करोड़ों-अरबों रुपए की निधि हासिल करना चाहती है.

    संसद के शीत सत्र में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण की प्रक्रिया के बारे में सवाल पूछा गया, जिसके जवाब में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) के निजीकरण पर कैबिनेट में कोई निर्णय नहीं लिया गया है.

    इसके पूर्व वित्त वर्ष 2021-22 के केंद्रीय बजट में सरकार ने चालू वित्त वर्ष में सार्वजनिक क्षेत्र के 2 बैंकों के निजीकरण और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के रणनीतिक विनिवेश की घोषणा की थी. स्पष्ट है कि बैंक कर्मचारियों की हड़ताल को देखते हुए सरकार ने फिलहाल बैंक निजीकरण का प्रस्ताव ठंडे बस्ते में डाल दिया है लेकिन आगे चलकर 2022-23 के बजट में वह फिर यह प्रस्ताव ला सकती है क्योंकि निजीकरण उसके एजेंडा में है.

    निजीकरण को बढ़ावा देते हुए सार्वजनिक उपक्रमों और महामंडलों का विनिवेश करने की अपनी नीति के तहत सरकार ने मंत्रिमंडल की समिति बनाई है जो इस संबंध में विचार कर नीति निर्धारित करेगी. इसके पूर्व बैंक कर्मियों के संगठनों ने चेतावनी दी थी कि यदि सरकार ने सरकारी बैंकों के निजीकरण के संबंध में अपनी भूमिका नहीं बदली तो अनिश्चितकालीन हड़ताल की जाएगी.

    पिछली सरकारों द्वारा मेहनत से देशवासियों की पूंजी से खड़े किए गए सार्वजनिक उपक्रम वर्तमान सरकार निजी हाथों में देना चाहती है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. एयर इंडिया की बिक्री इस दिशा में सरकार का पहला कदम है.