आखिर आंध्रप्रदेश की जगनमोहन रेड्डी सरकार ने राज्य में 3 राजधानियां बनाने का अपना अटपटा व बेतुका फैसला वापस ले लिया. कुछ राज्यों में एक राजधानी और दूसरी उपराजधानी होती है जैसे कि महाराष्ट्र में मुंबई और नागपुर हैं. जम्मू-कश्मीर में श्रीनगर राजधानी रहने पर भी सर्दियों में राजधानी जम्मू रहा करती थी. अंग्रेजों के जमाने में दिल्ली राजधानी होने पर ग्रीष्मकालीन राजधानी शिमला थी क्योंकि गर्मी पड़ते ही गवर्नर जनरल शिमला चले जाते थे.
आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी ने तुगलकी फैसला लेते हुए प्रदेश में 3 राजधानियां बनाना तय किया था. यह निर्णय अजीबोगरीब था क्योंकि इसके पहले ऐसा कहीं नहीं हुआ था. राज्य की पिछली चंद्राबाबू नायडू के नेतृत्व वाली टीडीपी सरकार ने 2015 में अमरावती को राजधानी बनाने का निर्णय लिया था लेकिन जब जगनमोहन रेड्डी के नेतृत्व में वाईएसआर कांग्रेस की सरकार बनी तो उन्होंने पिछली सरकार के फैसले के खिलाफ आंध्रप्रदेश कैपिटल रीजन डेवलपमेंट (रिपील) एक्ट लाया.
इसके तहत राज्य में एक्जीक्यूटिव, ज्युडीशियल और लेजिस्लेटिव राजधानी क्रमश: विशाखापटनम, कुरनूल और अमरावती में रखने का फैसला लिया गया. या तो इसके पीछे राज्य के विभिन्न क्षेत्रों के तुष्टीकरण का इरादा था या फिर सनक थी. राज्य के 3 नगरों में अलग-अलग राजधानी बनाने का विचार दिमागी दिवालियापन था.
अमरावती को राजधानी बनाने के लिए जिन किसानों ने अपनी 34,000 एकड़ कृषि भूमि दी थी, उन्होंने इस 3 राजधानी वाले कानून को अदालत में चुनौती दी तथा 100 से ज्यादा अर्जियां दायर की गईं. हाईकोर्ट इस मामले पर सुनवाई कर रहा था. इसी बीच मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी ने कैबिनेट की आपात बैठक बुलाकर 3 राजधानी बनाने का अपनी सरकार का फैसला वापस ले लिया. राज्य के महाधिवक्ता ने हाईकोर्ट को कैबिनेट के फैसले की जानकारी दी.