प्रोजेक्ट्स में विलंब अड़ियल अफसरों पर गिरेगी गाज

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    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भली भांति जानते हैं के चुस्त नौकरशाह ही सरकारी योजनाओं और लक्ष्यों को अमली जामा पहना सकते हैं. जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब भी सरकारी योजनाओं को घोषणा तक सीमित न रखते हुए उन्हें सक्षमतापूर्वक लागू करने के लिए सीधे उच्चाधिकारियों से चर्चा कर उन्हें निर्देश देते थे. कोई योजना कितने संसाधनों में और कितनी समय सीमा में पूरी हो जाएगी, इसका फैसला कर तत्काल प्रशासनिक मशीनरी को काम पर लगा दिया जाता था.

    मोदी कभी भी बार-बार मंत्रियों, सांसदों और समितियों की लंबी बैठकें लेकर समय बरबाद करना पसंद नहीं करते क्योंकि ऐसा करने से विभिन्न योजनाएं लटक जाती हैं या समय पर पूरी नहीं हो पातीं. वे सीधे संबंधित विभाग के वरिष्ठ नौकरशाहों को अपना लक्ष्य बताते हैं और काम करवा लेते हैं. इतना होने पर भी कुछ नौकरशाह सुस्त या अड़ियल होते हैं जो नियम-कानून का हवाला देकर या अन्य किसी बहाने से योजनाएं लटकाए रखते हैं. पीएम की ऐसे अफसरों पर वक्रदृष्टि है. उन्होंने बुनियादी ढांचे से जुड़ी योजनाओं की समीक्षा करते हुए आदेश दिया कि उन अड़ियल नौकरशाहों और एजेंसियों की पहचान की जाए जिनकी वजह से परियोजनाएं अटकी हुई हैं. पीएम ने कैबिनेट सचिव को आदेश दिया कि वे एक डोजियर तैयार करें जिसमें विवरण सहित जानकारी दी जाए कि कौन से प्रोजेक्ट लटके हैं और इनकी वजह क्या है.

    उन्होंने दिल्ली में बन रहे अर्बन एक्सटेंशन रोड या दिल्ली के तीसरे रिंग रोड का काम 15 अगस्त 2023 तक पूरा करने का आदेश राष्ट्रीय महामार्ग प्राधिकरण के अधिकारियों को दिया. परियोजनाओं के समयसीमा में पूर्ण नहीं होने से उनकी लागत बढ़ जाती है. इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी 150 करोड़ रुपए या इससे अधिक खर्च वाली 483 परियोजनाओं की लागत में तय अनुमान से 4.43 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की वृद्धि हुई है. मोदी ने छत्तीसगढ़ के एक रेलवे प्रोजेक्ट में असाधारण विलंब पर भी अप्रसन्नता व्यक्त की. 2008 में शुरू की गई इस परियोजना पर 2,000 करोड़ की लागत का अनुमान था. यह अब बढ़कर 6000 करोड़ रुपए के करीब पहुंच गई है.