विदेश में देश के बारे में लगातार राहुल के बोल, राष्ट्रहित में ठीक नहीं

    Loading

    अपने देश के राजनीतिक मतभेदों का विदेश जाकर ढिंढोरा पीटने की क्या जरूरत है? विदेश में तो हर भारतीय की ‘बंधी मुट्ठी लाख की’ होनी चाहिए. देश की समस्याओं और विवादों को देश में ही निपटाना उचित है. विदेशी जमीन पर अपनी सरकार व प्रधानमंत्री की आलोचना करने में दूर-दूर तक कोई तुक नहीं है, बल्कि ऐसा रवैया व्यक्ति को हास्यास्पद बना देता है. 

    विदेश में यही स्वर गूंजना चाहिए कि हम सभी भारतवासी एक हैं. परिपक्वता इसी में है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी बीजेपी, आरएसएस और मोदी सरकार के खिलाफ सारी भड़ास लंदन जाकर निकाल रहे हैं. इस तरह की गैरजिम्मेदाराना बातों से विदेश में भारत की छवि को आघात पहुंचता है. राहुल चाहते तो संसद या देश के अन्य किसी फोरम में अपनी बात रख सकते थे लेकिन उन्होंने इसके लिए लंदन के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय को चुना. 

    लगता है कि सनातन काल से चली आ रही भारत की एकता से राहुल गांधी अनभिज्ञ हैं, तभी तो उन्होंने ‘इंडिया ऐट 75’ विषय पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत राष्ट्र नहीं है, बल्कि राज्यों का संघ है. यह राज्यों के बीच हुए समझौते का नतीजा है. यह कितनी विकृत और गुमराह करनेवाली सोच है! ढाई सौ वर्ष के इतिहास वाला अमेरिका राज्यों का संघ हो सकता है जहां पहले 13 राज्यों, फिर 48 राज्यों का और बाद में 50 राज्यों का संघ बना, इसीलिए वह यूनाइटेड स्टेट्स कहलाता है. 

    भारत की एकता वेदों से लेकर इतिहास तक में अंकित है. स्वयं आदि शंकराचार्य ने उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम में 4 पीठ स्थापित कर इस सांस्कृतिक एकात्मता को परिपुष्ट किया था. यदि राहुल गांधी ने मौर्य वंश तथा गुप्त वंश का गौरवपूर्ण समृद्धिशाली इतिहास पढ़ा होता तो भारत के बारे में ऐसी बात नहीं कहते. हमारा स्वाधीनता आंदोलन भी किसी एक प्रदेश की नहीं, बल्कि समूचे भारत की आजादी के लिए था. जब राहुल ने कहा कि राष्ट्र यानी साम्राज्य है तो भारतीय सिविल सेवा के अधिकारी सिद्धार्थ वर्मा ने उन्हें टोकते हुए कहा कि नेशन को संस्कृत में राष्ट्र कहते हैं. 

    वर्मा ने राहुल से कहा कि भारत को लेकर आपका विचार न केवल गलत, बल्कि विनाश करनेवाला भी है क्योंकि यह हजारों वर्षों के इतिहास को छिपाने की कोशिश करता है. अपने ही देश के इतिहास से अनभिज्ञ राहुल ने हिंदू धर्म का विस्तार से अध्ययन करने का दावा करते हुए कहा कि हिंदू राष्ट्रवाद शब्द से वह सहमत नहीं हैं. उन्होंने आरएसएस और प्रधानमंत्री पर भारत के मूलभूत ढांचे से खिलवाड़ करने का आरोप लगाया.