जलियांवाला बाग का नवीकरण हर विषय पर विवाद गंभीरता का अभाव

    Loading

    किसी पुराने और जीर्ण होते जा रहे ऐतिहासिक स्थल की गरिमा कायम रखते हुए उसका नवीनीकरण या सौंदर्यीकरण करने का उपक्रम देश-विदेश में किया जाता रहा है. पुराने किले, महल, मीनार, स्मारकों की समय-समय पर दुरुस्ती जरूर हो जाती है. दूसरी बात यह है कि वहां आने वाले पर्यटकों के लिए सुविधा व आकर्षण का पहलू भी इससे जुड़ा है. नवीनीकरण से स्थान सुंदर, भव्य व आकर्षक बन जाता है लेकिन कुछ लोग मूल रचना में तनिक भी बदलाव या हेरफेर नहीं चाहते.

    वे सब कुछ यथावत रखने के पक्ष में रहते हैं. 102 वर्ष पूर्व अमृतसर के जलियांवाला बाग में बैसाखी के त्योहार पर एकत्र हुए महिला, बच्चों व बुजुर्गों के समूह पर जनरल डायर ने सभी ओर से घेर कर मशीन गन से गोलियां चलवाई थीं. कितने ही लोग गोली लगने से मारे गए तो सैकड़ों लोग जान बचाने के लिए वहीं स्थित कुएं में कूद गए. यह कुआं ऊपर तक लाशों से भर गया था. इस भीषण नरसंहार के लिए डायर की कड़ी निंदा हुई थी. जलियांवाला बाग में प्रवेश की एकमात्र गली व दीवारों पर गोलियों के निशान उस नृशंसता की याद दिलाते थे. इस नरसंहार की भयावहता को यथावत बनाए रखने की कोशिश आजादी के बाद के पिछले 7 दशकों से की जाती रही लेकिन अब गली के सौंदर्यीकरण व बदलाव से जनरल डायर की क्रूरतम सोच गायब हो गई. प्रधानमंत्री ने इस नवीकरण का वर्चुअल उद्घाटन किया.

    एक ओर जहां पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि इस रिनोवेशन की बहुत जरूरत थी, इतिहास से कोई छेड़छाड़ नहीं हुई है. वहीं दूसरी ओर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रिनोवेशन पर टिप्पणी की कि जलियांवाला बाग के शहीदों का ऐसा अपमान वही कर सकता है जो शहादत का मतलब नहीं जानता. हम इस अभद्र क्रूरता के खिलाफ हैं. मैं एक शहीद का बेटा हूं और शहीदों का अपमान किसी कीमत पर सहन नहीं करूंगा. इतिहासकार इरफान हबीब और माकपा नेता सीताराम येचुरी ने भी नवीकरण के नाम पर विरासतों से छेड़छाड़ की आलोचना की.