अग्निपथ के खिलाफ प्रस्ताव पंजाब विधानसभा का विचित्र कदम

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    पंजाब विधानसभा ने केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया. ऐसा प्रस्ताव पारित करनेवाला पंजाब देश का पहला राज्य है. यह केंद्र और राज्य के बीच टकराव बढ़ाने वाला ‘आप’ सरकार का सुनियोजित कदम प्रतीत होता है. प्रस्ताव में कहा गया है कि यह योजना न तो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से सही है और न देश के युवाओं के लिए उपयुक्त है. इस प्रस्ताव को मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पेश किया जिसका कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल और बसपा जैसी विपक्षी पार्टियों ने समर्थन किया. 117 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी के सिर्फ 2 विधायक हैं.

    अग्निपथ योजना के समर्थन और विरोध में देश में काफी बहस हो चुकी है. यह एक स्वैच्छिक योजना है जिसमें किसी को जबरन भर्ती नहीं किया जा रहा है, फिर किसी राज्य सरकार को इसके खिलाफ प्रस्ताव पारित करने की कौन सी जरूरत आ पड़ी? एक तरफ तो विपक्षी पार्टियां युवाओं की भारी बेरोजगारी के लिए केंद्र सरकार को आड़े हाथ लेती हैं, वहीं दूसरी ओर युवाओं को 4 वर्ष के लिए अग्निवीर के रूप में भर्ती करना भी उन्हें नहीं सुहाता. इन 4 वर्षों में युवक सेना के अनुशासन में ढल जाएंगे.

    उनका राष्ट्रीय चरित्र मजबूत होगा व अनुभव भी मिलेगा. खाली रहने की बजाय कुछ करना हमेशा अच्छा रहता है. वेतन और पैकेज की व्यवस्था के साथ केंद्र ने यह योजना इसलिए पेश की है ताकि देश की सेना हमेशा युवा बनी रहे. देश के बड़े उद्योग घरानों जैसे कि टाटा व महिंद्रा ने अग्निवीरों को 4 वर्ष के सेवाकाल के बाद अपने यहां रोजगार देने का ऑफर रखा है.

    जिन्हें अग्निवीर बनना पसंद नहीं है, उन्हें कंबाइंड डिफेंस सर्विसेस या एनडीए की परीक्षा की तैयारी करने से किसने रोका है? जो 10वीं के बाद स्वेच्छा से अग्निवीर बनने की इच्छा रखता है, उसे क्यों रोका जाए? बिहार में अग्निपथ योजना के विरोध में हिंसक आंदोलन व ट्रेनों को जलाने जैसी घटनाएं हुईं लेकिन बिहार विधानसभा में इस योजना के खिलाफ कोई प्रस्ताव नहीं आया. इस योजना में पहले ही दिन भर्ती के लिए हजारों आवेदन आ गए. इससे यही संदेश जाता है कि युवाओं को यह योजना पसंद है.