सिब्बल ने छोड़ी पार्टी उजड़ता जा रहा है कांग्रेस का खेमा

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    कांग्रेस का खेमा उजड़ता चला जा रहा है. ज्योतिरादित्य सिंधिया व जितिन प्रसाद के पार्टी छोड़ने के बाद भी कांग्रेस अपने घर को संभाल नहीं पाई. हाल ही में अश्विनी कुमार, आरपीएन सिंह, सुनील जाखड़ और हार्दिक पटेल ने कांग्रेस को अलविदा कह दिया. जी-23 गुट के असंतुष्ट नेताओं को मनाने में पार्टी का हाईकमांड विफल रहा. अब कपिल सिब्बल ने कांग्रेस छोड़ दी और वे निर्दलीय के रूप में सपा के समर्थन से राज्यसभा चुनाव लड़ रहे हैं. यद्यपि कपिल सिब्बल कोई जननेता नहीं हैं लेकिन उनका नाम काफी है. सुप्रीम कोर्ट के नामी वकीलों में उनकी गिनती है.

    मनमोहन सरकार में मानव संसाधन विकास मंत्री रहते हुए शिक्षा के क्षेत्र में अनेक मौलिक निर्णय लिए थे. कांग्रेस के उदयपुर चिंतन शिविर के कुछ ही दिनों बाद कई नेताओं के इस्तीफा देने से पार्टी को लगातार झटके लग रहे हैं. सुनील जाखड़ पंजाब में राहुल गांधी के पसंदीदा नेता थे, जो बीजेपी में चले गए. यही काम गुजरात के युवा नेता हार्दिक पटेल ने भी किया. जाहिर है कि ये सारे नेता मान बैठे हैं कि कांग्रेस एक डूबता जहाज है, इसलिए वे उसे छोड़ते चले जा रहे हैं.

    जहां तक कपिल सिब्बल का सवाल है, वे पहले ही यह कहकर पार्टी हाईकमांड को नाराज कर चुके थे कि गांधी परिवार को कांग्रेस के नेतृत्व की भूमिका से हट जाना चाहिए. सिब्बल ने कांग्रेस के चिंतन शिविर में भी भाग नहीं लिया था. कांग्रेस से कुछ मिलने की उम्मीद नहीं होने से किसी न किसी बहाने नेता पार्टी छोड़ते जा रहे हैं. सिब्बल के पार्टी छोड़ने से जी-23 भी कमजोर पड़ जाएगा. वकील होने के नाते सिब्बल की अन्य पार्टी के नेताओं से भी निकटता रही है. 

    उन्हें टीएमसी और झारखंड मुक्ति मोर्चा की ओर से भी राज्यसभा में भेजे जाने का प्रस्ताव था लेकिन उन्होंने सपा के समर्थन से राज्यसभा में जाने का फैसला किया. सपा के बड़े नेता आजम खान को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत दिलाने में कपिल सिब्बल की उल्लेखनीय भूमिका रही. जेल से निकलने के बाद आजम खान ने सिब्बल की काफी तारीफ की. सिब्बल ने अपने भावी कदमों के बारे में कहा कि जब मैं निर्दलीय सदस्य के रूप में आवाज उठाऊंगा तो यह आम जनता की आवाज मानी जाएगी. हम विपक्ष में रहकर ऐसा गठबंधन बनाना चाहते हैं जिससे मोदी सरकार का विरोध संगठित रूप से किया जा सके.