राजनीति में मौका और माहौल देखकर निष्ठा बदलनेवालों की कमी नहीं है. किसी प्रलोभन में आकर या वादे पर भरोसा कर नेता अपनी पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टी की गोद में जा बैठते हैं. बंगाल में कांग्रेस के एक मात्र विधायक बायरन बिस्वास टीएमसी में शामिल हो गए. पश्चिमी मेदिनीपुर के घाटल में तृणमूल कांग्रेस के महासचिव अभिषेक बनर्जी की मौजूदगी में बायरन ने टीएमसी की सदस्यता स्वीकार की. निश्चित रूप से यह कांग्रेस के लिए बेहद अखरने वाली बात है क्योंकि बायरन बिस्वास के पार्टी छोड़ देने से अब बंगाल कांग्रेस मुक्त हो गया. अब बंगाल विधानसभा में कांग्रेस का एक भी विधायक नहीं है. एक मात्र कांग्रेस विधायक होने से बायरन बिस्वास दल बदल कानून के दायरे में नहीं आते. राजनेता अपने दलबदल को उचित ठहराते हुए कोई न कोई दलील देते ही हैं. बिस्वास को भी ऐसा लगा कि टीएमसी ही ऐसी एक मात्र ताकतवर पार्टी है जो बंगाल में बीजेपी केा कड़ी टक्कर दे सकती है. बंगाल के विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा का धुआंधार प्रचार किसी काम नहीं आया था. ममता बनर्जी के नेतृत्व में टीएमसी ने बीजेपी को जबरदस्त मात दी थी. बायरन बिस्वास तब चर्चा में आए जब उन्होंने सागिरदिघी विधानसभा उपचुनाव में टीएमसी के उम्मीदवार को पराजित किया था. तब कांग्रेस की जीत तृणमूल कांग्रेस के लिए बड़ी पराजय मानी गई थी. वर्तमान परिप्रेक्ष्य में ममता बनर्जी और उनकी पार्टी का बंगाल में जबरदस्त वर्चस्व बना हुआ है. देश की राजनीति में बंगाल में ममता, तेलंगाना में के. चंद्रशेखर राव, दिल्ली में केजरीवाल, तमिलनाडु में एमके स्टालिन का क्षेत्रीय वर्चस्व बना हुआ है जहां बीजेपी की दाल नहीं गलती. जहां तक कांग्रेस की बात है. वह राजस्थान, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश व कर्नाटक में सत्तारुढ़ है तथा मध्यप्रदेश में बीजेपी के लिए चुनौती बनी हुई है. जहां तक बंगाल का मामला है, वहां सिद्धार्थ शंकर रे अंतिम कांग्रेसी मुख्यमंत्री थे. बाद में 3 दशक तक ज्योति बसु के नेतृत्व में लेफ्ट पार्टियों ने वहां राज किया. यह ममता बनर्जी ही थीं जिन्होंने वामपंथियों से उन्हीं के हिंसक तौर तरीके से सड़क पर उतर कर लड़ाई लड़ी. लेफ्ट को उखाड़ फेंकने का श्रेय ममता बनर्जी को ही जाता है. टीएमसी की सरकार पर घोटाले व भ्रष्टाचार के कितने ही आरोप हैं लेकिन ममता की कुर्सी हिला पाने में बीजेपी को कामयाबी नहीं मिल पाई. कांग्रेस के एकमात्र विधायक बिस्वास को लगा होगा कि वह विधानसभा में अलग-थलग पड़े हैं. अकेला चना क्या भाड़ फोड़ेगा! यही सोचकर उन्होंने टीएमसी का दामन थाम लिया.