महाराष्ट्र राज्य परिवहन (एसटी) की बसों में आग लगने की घटनाएं अत्यंत चिंताजनक हैं. कबाड हो चुकी बसें चलाने और रखरखाव में लापरवाही से ऐसा हो रहा है. यह कोई इक्का-दुक्का मामला नहीं है बल्कि लगातार बसें जल रही हैं और यात्रियों की सुरक्षा से खिलवाड़ हो रहा है. मंगलवार को 2 बसों में आग लगी और बुधवार को फिर यही हुआ. जब चलती बस में आग भड़क उठे तो यात्रियों का कलेजा मुंह को आना स्वाभाविक हे. यह केवल एक डिपो का हाल नहीं है बल्कि राज्य के विभिन्न स्थानों पर एसटी बसों में आग भड़की है. पुणे शहर के यरवदा इलाके में यवतमाल से पुणे की ओर जा रही एसटी बस में आग लगी.
चालक व परिचालक ने बससे धुआं उठता देखकर सभी 77 यात्रियों को तत्काल बस से उतार दिया इसके ठीक बाद बस जल गई. दूसरी घटना में अकोला से नागपुर जा रही नागपुर डिपो की एसटी बस में अमरावती जिले के पिंपलविहीर गांव के समीप आग लगी. ड्राइवर व कंडक्टर की सतर्कता से 35 यात्रियों को बाल-बाल बचा लिया गया. इस आग में बस पूरी तरह जलकर खाक हो गई. बुधवार को नाशिक-पुणे हाईवे पर मालवाड़ी के निकट चलती बस में आग लगने से हड़कम्प मच गया. बस के पिछले हिस्से में आग लगने से धुआं निकलने लगा तो चालक ने सड़क के किनारे गाड़ी को रोक दिया.
सौभाग्य से सभी यात्री सुरक्षित बच गए. पुरानी खटारा बसों की वजह से ऐसा हो रहा है. कुछ जानकारों का कहना है कि बैटरी के पास वायर का घर्षण होने से भी आग लगने का खतरा रहता है. नागपुर विभाग की 10 प्रतिशत बसों की आयुसीमा समाप्त हो गई है फिर भी इनकी मरम्मत करके चलाया जा रहा है. नियमानुसार 10 वर्ष चल चुकी या 12 लाख किलोमीटर की दूरी तय कर चुकी बसों को हटा दिया जाना चाहिए लेकिन खेद है कि अब भी लंबी दूरी के सफर के लिए ऐसी पुरानी जीर्णशीर्ण बसों का इस्तेमाल किया जा रहा है. ऐसा करना जोखिम भररा है. एसटी श्रमिक संगठन भी चाहता है कि पुरानी बसों को हटाकर नई बसें चलाई जाएं.
नियम तो यह भी है कि जो बसें 5 से 6 लाख किलोमीटर चल चुकी हैं उन्हें सिर्फ 300 किलोमीटर की दूरी तक ही यात्री प्रवास के लिए इस्तेमाल किया जाए. लेकिन उन्हें लंबी दूरी के लिए चलाया जा रहा है. पुरानी बसों की दुरूस्ती के लिए समय पर पुर्जे उपलब्ध नहीं होने की भी शिकायत है. अकेले नागपुर विभाग में ही 19 ‘हिरकणी’ बसेस हैं जो पुरानी हो चुकी हैं. ‘हिरकणी’ बस का किराया भी शिवशाही बस जितना ही वसूला जाता है. इसके बावजूद धक्का मारे बगैर कुछ गाड़ियां चालू ही नहीं होती और बीच-बीच में झटका खाती रहती हैं.