मेरठ का नाम बदलने की बात महात्मा गांधी के देश में ये कैसा गोडसे प्रेम

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    देश में लोकतंत्र है जिसका यह मतलब नहीं कि लोग आजादी का बेजा फायदा उठाएं. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हत्यारे का महिमामंडन क्या देश की जनता बर्दाश्त करेगी? समय-समय पर न जाने क्यों कुछ लोगों पर उन्माद सवार हो जाता है कि वे नाथूराम गोडसे की प्रशंसा और गुणगान करने लगते हैं. अखिल भारत हिंदू महासभा ने कहा कि वह मेरठ नगर निगम का चुनाव लड़ेगी और अगर उसके उम्मीदवार बहुमत में आए व पार्टी का महापौर बना तो मेरठ का नाम बदलकर नाथूराम गोडसे नगर किया जाएगा. इसी प्कार कुछ वर्ष पूर्व बीजेपी सांसद साध्वी प्रज्ञासिंह ठाकुर ने भी खुलकर बापू के हत्यारे नाथूराम गोडसे की तारीफ की जिसे लेकर काफी विवाद हुआ था. मालेगांव बम धमाके की संदिग्ध आरोपी रही साध्वी प्रज्ञा ने बाद में भड़काऊ बयानबाजी रोक दी.

    शायद पार्टी ने उन्हें इसके लिए मना किया होगा. जहां तक हिंदू महासभा की बात है, वह शुरू से महात्मा गांधी की कट्टर विरोधी रही है. उसका कहना है कि गांधी चाहते तो देश का विभाजन रोक सकते थे. अविभाजित भारत के सरकारी खजाने से पाकिस्तान को 54 करोड़ रुपए देने की जिद पर बापू अड़ गए थे और आमरण अनशन की चेतावनी दी थी. इस वजह से सरकार को झुकना पड़ा और आजादी के डेढ़ माह बाद ही कश्मीर पर हमला कनरेवाले पाकिस्तान को यह रकम देनी पड़ी. बापू कहते थे कि हिंदू और मुस्लिम मेरी आंखों के 2 तारे हैं. हिंदू महासभा पर सावरकर के विचारों की छाप रही.

    महात्मा गांधी की हत्या करनेवाला नाथूराम गोडसे भी हिंदू महासभा से निकटता रखताथा. हिंदू महासभा गोडसे को एक विचारक के रूप में देखती है ऐसे व्यक्ति को देशभक्त बताना और उसके दुष्कृत्य की प्रशंसा करना क्या उचित है? यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार की हिंदू महासभा के गोडसे प्रेम पर क्या प्रतिक्रिया है? भारत को सभी धर्मों और संप्रदायों के सहअस्तित्व वाले राष्ट्र के रूप में देखा जाता है लेकिन हिंदू महासभा इसे हिंदू राष्टर के रूप में देखना चाहती है. 1952 से लेकर आजतक किसी भी आम चुनाव में हिंदू महासभा को सफलता नहीं मिली. मेरठ को गोडसे का नाम देने की बात निहायत बेतुकी है जिसे देशवासी सहन नहीं करेंगे.