संतों के वेश में जूठन उठा रहे रामायण ट्रेन के वेटर

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    अति उत्साह में कभी-कभी बेवकूफी भी हो जाती है. आईआरसीटीसी की ओर से रामायण यात्रा के लिए चलाई जा रही ट्रेन में पवित्र भगवा वस्त्र और माला उन वेटरों को पहनाई गई जो खाना परोस रहे और जूठन उठा रहे हैं. यह अत्यंत शर्मनाक है. वेटरों को भगवा वस्त्र पहनाने का मूर्खतापूर्ण आइडिया आखिर किसका था? क्या आईआरसीटीसी के अफसरों ने अपना दिमाग कहीं गिरवी रख दिया है? भगवा वस्त्र भारत की गरिमा से जुड़ा है जिसे साधु-संत धारण करते हैं. 

    भगवा देखते ही श्रद्धा से सिर झुक जाता है. यह वह केसरिया बाना है जिसे पहनकर राजपूत योद्धा रणक्षेत्र में जाते थे. निश्चित रूप से रामायण सर्किट एक्सप्रेस ट्रेन एक अच्छी पहल है जिसके तहत दिल्ली से शुरू होकर अयोध्या के राम जन्मभूमि, हनुमान मंदिर, जानकी जन्मस्थान, काशी, प्रयाग, श्रृंगवेरपुर, चित्रकूट, पंचवटी, त्र्यंबकेश्वर, हनुमान जन्मस्थल, रामेश्वरम के शिवमंदिर होते हुए धनुष कोडी का दर्शन श्रद्धालु यात्री कर सकेंगे. 

    भगवान राम से जुड़े 15 स्थलों का दर्शन करानेवाली यह ट्रेन 7500 किलोमीटर की दूरी तय करेगी. इस तरह श्रेष्ठ उद्देश्य से चलाई जानेवाली इस ट्रेन में यात्रियों की श्रद्धा भावना का ध्यान रखा जाना अत्यंत आवश्यक था लेकिन लोगों की भावनाएं तब पूरी तरह आहत हुईं जब वेटर भगवा कपड़ों में नजर आए. टि्वटर पर यह वीडियो शेयर किया गया. टि्वटर यूजर्स का कहना है कि ऐसी भगवा वेशभूषा में लोगों की जूठन उठाना, खाना परोसना साधु-संतों का अपमान है. 

    यूजर्स ने आईआरसीटीसी सहित रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से वेटरों की वेशभूषा में तत्काल बदलाव करने की मांग की है. भगवा वस्त्र तथा रुद्राक्ष या तुलसीमाला के सम्मान का पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए. जिस तरह वेटर को भगवा वस्त्र पहनाने की नादानी इस ट्रेन में की गई, ऐसी गलती फिर कभी नहीं होनी चाहिए.