गावस्कर सिर्फ बोले क्यों, सीधे-सीधे विराट को सलाह क्यों नहीं देते?

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    भारत के पूर्व क्रिकेट कप्तान और सलामी बल्लेबाज सुनील गावस्कर भी विराट कोहली के खराब फॉर्म को लेकर चिंतित हैं. उन्होंने कहा कि अगर मुझे कोहली के साथ 20 मिनट का समय मिले तो मैं शायद उनका फॉर्म लौटाने में मदद दे सकूंगा, खासकर ऑफ स्टंप के बाहर जाती गेंदों के साथ विराट को हो रही दिक्कतों को दूर कर सकता हूं. 

    एक सीनियर और अनुभवी खिलाड़ी का ऐसा कहना हिम्मत बंधानेवाला है. लेकिन गावस्कर सिर्फ बोले क्यों, वे सीधे-सीधे विराट को सलाह क्यों नहीं देते? गावस्कर ने अपने अनुभवों का जिक्र करते हुए कहा कि एक सलामी बल्लेबाज (ओपनर) के तौर पर आप ऐसी गेंदों पर काफी परेशानी का सामना करते हैं. ऐसे में आप इससे निपटने के लिए काफी कुछ करते हैं. कोहली के साथ भी यह समस्या हो रही है कि वह अपनी पहली गलती पर ही आउट हो रहे हैं. 

    वह बड़ी पारी नहीं खेल पा रहे, इसलिए हर गेंद पर रन बनाने की कोशिश करते हैं. ऐसी स्थिति में बल्लेबाज उन गेदों पर भी रन बनाने की सोचता है जिन्हें कि वह आमतौर पर छोड़ देता है. गावस्कर के समय से क्रिकेट में काफी बदलाव आया है. गावस्कर टेस्ट क्रिकेट के नामी खिलाड़ी रहे हैं जबकि आज के खिलाड़ियों को टेस्ट, वन डे और टी-20 तीनों प्रारूपों में खेलना पड़ता है. टेस्ट क्रिकेट में 5 दिनों का मैच होने से रन बनाने की जल्दी नहीं रहती. 

    गावस्कर विकेट बचाकर खेलते थे और स्टंप से बाहर जाती गेंद को मारने का रिस्क नहीं लेते थे. वे कॉपी बुक शैली में क्रिकेट खेलते थे. जब सबसे पहली बार वनडे मैच खेला गया तो उसमें 60 ओवर थे. गावस्कर सलामी बल्लेबाज के रूप में आए और अंत तक नॉटआउट रहे थे. उन्होंने 174 गेंदों में केवल 36 रन बनाए थे लेकिन क्रीज पर धैर्य के साथ सावधानीपूर्वक टिके रहे. अब क्रिकेट का स्वरूप आक्रामक हो गया है. कोहली और गावस्कर की शैली में अंतर है, फिर भी यदि गावस्कर अपने अनुभव के आधार पर विराट को सीधे सलाह दें तो उसका लाभ अवश्य मिल सकता है.