BJP विधायक को बचाकर, आजम खान को अयोग्य ठहराने में जल्दी क्यों

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    उत्तरप्रदेश की योगी आदित्यनाथ के नेतृत्ववाली भाजपा सरकार का सपा से सिर्फ राजनीतिक विरोध ही नहीं, बल्कि उसके नेताओं के प्रति गहरा पूर्वाग्रह भी है. ऐसी नफरत की राजनीति जनहित में कदापि उचित नहीं कहीं जा सकती. राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता में प्रतिशोध की भावना और कटुता का कोई स्थान नहीं होना चाहिए. जब भाजपा को लगातार 2 विधानसभा चुनावों में मजबूत जनाधार मिला तो उसे सपा नेताओं के प्रति शत्रुभाव रखने की क्या आवश्यकता है? योगी सरकार को तो सिर्फ यही दिखाना चाहिए कि वह सपा सरकार की तुलना में हर प्रकार से बेहतर कामकाज कर सकती है. 

    योगी सरकार की खासतौर पर वरिष्ठ सपा नेता आजम खान से नाराजगी है. पहले मुलायमसिंह और फिर अखिलेश यादव की सरकार में आजम खान शक्तिशाली और दबंग हैसियत रखनेवाले मंत्री थे. सपा सरकार में यादव-मुस्लिम वर्चस्व बना हुआ था और आजम खान का इतना प्रभाव था कि तब उनकी गुमी हुई भैसों की तलाश में यूपी पुलिस जुट गई थी. एक समय वह भी था जब यूपी के थानों में यादव या मुस्लिम के खिलाफ रिपोर्ट नहीं लिखी जाती थी. 

    ये सारी बातें अपनी जगह हैं लेकिन फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने आजम खान को प्रदेश विधानसभा से अयोग्य ठहराए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर यूपी सरकार और केंद्रीय चुनाव आयोग से जवाब मांगा है. भड़काऊ भाषण देने के आरोप में आजम खान को 3 वर्ष कारावास की सजा सुनाए जाने पर उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी गई थी. आजम खान ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर यूपी सरकार व चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती दी. इस मुद्दे पर प्रदेश की अतिरिक्त महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद ने दलील दी कि आजम को विधानसभा से अयोग्य ठहराने का फैसला सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय के अनुरूप है. 

    इस पर पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता को अयोग्य ठहराने के लिए इतनी जल्दबाजी क्यों की गई? आपको उन्हें कुछ वक्त देना चाहिए था. आजम खान के वकील पी चिदंबरम ने सवाल उठाया था कि यूपी सरकार और चुनाव आयोग ने ऐसे ही आरोप में बीजेपी विधायक विक्रम सैनी की अयोग्यता पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है. यह समान न्याय का तकाजा है कि यदि कार्रवाई करनी है तो उसमें पक्षपात नहीं होना चाहिए. किसी पर एक्शन लेना तो किसी को संरक्षण देना उचित नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने सही फटकार सुनाई और आजम खान की याचिका पर जवाब दाखिल करने का निर्देश यूपी सरकार को दिया.