World Bank's accurate estimate, India's growth rate will be the fastest

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    भारत की अर्थव्यवस्था और विकास दर को लेकर आशाजनक रूख बना हुआ है. न केवल विश्व बैंक बल्कि अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियां भी इस मुद्दे पर सकारात्मक रवैया अपनाए हुए हैं. वे अपने पैरामीटर्स या मानदंडों पर भारत को विश्व पटल पर तेजी से उभरता देख रहे हैं. विश्व बैंक ने भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) अनुमान को संशोधित कर उसे पहले की तुलना में बढ़ा दिया है. 2022-23 के लिए इस अनुमान को 6.5 फीसदी से बढ़ाकर 6.9 फीसदी करते हुए माना है कि भारत की विकास दर सबसे तेज रहेगी. ऐसे समय जब पश्चिम के बड़े देश ऊर्जा संकट और मंदी का सामना कर रहे हैं तब भारत ने खुद को संभाल रखा है. 

    विश्व बैंक के वरिष्ठ अर्थशास्त्री ध्रुव शर्मा ने अपना आकलन प्रस्तुत करते हुए कहा कि आज का भारत 10 वर्ष पूर्व के भारत से कहीं अधिक क्षमतावान है. विगत 10 वर्षों में जो कदम उठाए, वे आज विपरीत हो रही वैश्विक परिस्थितियों में भारत की मदद कर रहे हैं. इसी तरह विश्व बैंक के एक अन्य अधिकारी अगस्ते तानो काउमे ने अपने विश्लेषण में कहा कि भारत बहुत महत्वाकांक्षी है जिसकी सरकार ने अर्थव्यवस्था को लचीला बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं. दूसरी ओर क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच ने चालू वित्त वर्ष की आर्थिक वृद्धिदर के अनुमान को 7 फीसदी पर कायम रखा है तथा कहा है कि भारत इस वर्ष उभरते बाजारों में सबसे तीव्र आर्थिक वृद्धि हासिल करनेवाला देश बन सकता है. 

    फिच ने कहा कि वर्तमान वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी विकास दर 7 फीसदी रहेगी लेकिन 2023-24 में धीमी पड़कर 6.2 फीसदी तथा 2024-25 में फिर बढ़कर 6.9 फीसदी रहने का अनुमान है. पहले कोरोना महामारी और फिर रूस-यूक्रेन युद्ध के बावजूद भारत ने अपनी विकास को झटकों से संभाल लिया है. वैसे अमेरिका, चीन और यूरोपीय घटनाक्रमों से भारत कहीं न कहीं प्रभावित हुआ है. भारतीय रिजर्व बैंक का भी अनुमान है कि देश की अर्थव्यवस्था मौजूदा वित्त वर्ष में 7 प्रतिशत की रफ्तार से आगे बढ़ेगी. 

    पहले रिजर्व बैंक का अनुमान 7.2 प्रतिशत था जिसे उसने घटा दिया है. निश्चित तौर पर भारत ने काफी हद तक वैश्विक आर्थिक झटकों से खुद को बचाया है. इसके पहले ग्लोबल इन्वेस्टमेंट बैंक मॉर्गन स्टैनली अपनी रिपोर्ट में कह चुका है कि भारत में विनिर्माण क्षेत्र, ऊर्जा प्रसार क्षेत्र और अत्याधुनिक डिजिटल बुनियादी ढांचे में निवेश के माध्यम से अर्थव्यवस्था में उछाल के आसार हैं. इन सभी की वजह से 2030 में खत्म होनेवाले दशक से पहले भारत का दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना तय है.