
सूचना तकनीक या आईटी पर समूचा विश्व निर्भर हो गया है. लोग यह भूल ही गए कि जब गूगल (Google) का सर्च इंजिन नहीं था, तब वे कैसे काम चलाते थे! तब भी तो जिंदगी थी. वैज्ञानिक प्रगति का सर्वत्र स्वागत किया जाता है और किया भी जाना चाहिए लेकिन पूरी तरह उस पर अवलंबित होकर अपना आधार छोड़ देने में समझदारी नहीं है. एक मामूली सा उदाहरण है कि पहले लोग जोड़, घटाना, गुणा, भाग काफी हद तक मुंहजबानी कर लेते थे. एक ऐसी भी पीढ़ी थी जो सवा और डेढ़ का पहाड़ा याद रखती थी. जब कैलकुलेटर आया तो लोगों ने अपने दिमाग से हिसाब करना छोड़ दिया.
वे खुद से ज्यादा कैलकुलेटर पर यकीन करने लगे. इसी तरह की स्थिति गूगल को लेकर है. लोग हर जानकारी हासिल करने व किसी भी समस्या का हल खोजने के लिए ‘गूगल गुरु’ की मदद लेते हैं. वे न तो कुछ पढ़ना चाहते हैं और न किताबों या पुस्तकालयों से संदर्भ खोजना चाहते हैं. उन्हें पकी-पकाई खीर चाहिए और वह भी झटपट! इसलिए वे शौकिया से लेकर पेशेवर जानकारी तक के लिए पूरी तरह गूगल पर निर्भर हो गए हैं. किस लक्षण पर कौन सी दवा लेनी चाहिए, इसके लिए मरीज गूगल की मदद लेता है. किसी लेखक या शोध छात्र को कोई संदर्भ चाहिए तो पुस्तकों के पन्ने टटोलने की बजाय सीधे गूगल सर्च करता है. मदद लेना सराहनीय है, परंतु पूरी तरह गूगल के भरोसे रहना कितना उचित है. लोगों की मौलिकता और कर्मठता इससे खत्म हो रही है. उनकी स्मरणशक्ति, सृजनात्मकता और विश्लेषण करने की क्षमता को जंग लग रहा है क्योंकि वे गूगल पर अतिनिर्भर हो गए हैं. अब तो हाल यह है कि पूजा के समय आरती भी गूगल की मदद से गाई जाती है. कोई रेसिपी बनानी है, प्रोजेक्ट सबमिट करना है तो ‘गूगलं शरणं गच्छामि’ के अलावा कोई विकल्प नहीं रह गया है.
पढ़ने की आदत छूट सी गई
नई पीढ़ी में पढ़ने की अभिरुचि काफी कम हो गई है. लोगों को संदर्भ याद रखना गैरजरूरी लगता है. डाक्टर, वकील, इंजीनियर, आर्टिटेक्ट भी गूगल पर निर्भर होते जा रहे हैं. लोगों की आलस्यपूर्ण सोच कुछ ऐसी हो गई है कि जब जरूरत होगी, गूगल में देख लेंगे. सब रेडीमेड मिल जाएगा. इस सुविधा ने लोगों को आलसी बना दिया. यह कुछ वैसा ही हाल है कि 24 घंटे वाटर सप्लाई हो रही है तो लोग कुआं खोदना भूल गए. गूगल से संदर्भ लेकर अपनी कलम से कुछ क्रिएटिव लिखा जा सकता है लेकिन लोग पूरा का पूरा गूगल का लेख कॉपी कर देते हैं. इस कटिंग-पेस्टिंग में मौलिकता कहां है?
बेशकीमती है गूगल
गूगल सर्च इंजिन से लोगों को तमाम तरह की सुविधाएं उपलब्ध हो गई हैं. एप आधारित टैक्सी बुलाने, फूड डिलीवरी का आर्डर देने, मैप देखने, डिक्शनरी या संदर्भ सर्च करने में गूगल मददगार है. गूगल ड्राइव, गूगल डॉक्स, और गूगल मीट जैसी सेवाएं विशिष्ट महत्व रखती हैं. सोमवार को अमेरिका, यूरोप, इंग्लैंड, कनाडा, भारत सहित विश्व भर में गूगल से जुड़ी 19 सेवाएं ठप हो गईं. इससे सभी तरफ अफरा-तफरी का माहौल देखा गया. करोड़ों लोगों ने इन सेवाओं के ठप होने को लेकर टि्वटर पर जानकारी साझा करना शुरू किया. इसके अलावा कोई विकल्प भी तो नहीं था! लोग लगभग पौन घंटे तक गूगल सर्च, यूट्यूब, जीमेल, गूगल मैप व गूगल पे की सेवाएं पुन: शुरू होने का बेसब्री से इंतजार करते रहे. गूगल ठप हुआ तो दुनिया भर में व्हाट्सएप पर ट्रैफिक बढ़ा. लगभग 15 प्रतिशत लोगों को वेबसाइट के साथ दिक्कतों का सामना करना पड़ा. 79 प्रतिशत लोगों को लॉगइन करने में समस्या हुई. 14 प्रतिशत ने मैसेज से संबंधित शिकायत की. लोग ईमेल देखने, वीडियो देखने, गूगल क्लाउड में स्टोर किए गए डाक्युमेंट देखने में विफल हो गए. बाद में गूगल क्लाउड ने ट्वीट किया कि इंटरनल स्टोरेज कोटा इशू की वजह से आउटेज हुआ. आउटेज की वजह से माइक्रोब्लागिंग साइट ‘गूगल डाउन’ पर ट्वीट्स और मीम्स की सूनामी आ गई. गूगल पर निर्भरता इतनी बढ़ गई है कि उसके फेल होने से दुनिया लड़खड़ा गई.