सीरम इंस्टीट्यूट की अजीब मांग, कानून के दायरे से बाहर हो वैक्सीन का असर

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क्या जनता की जान की कोई कीमत ही नहीं है? कम से कम सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (Serum Institute of India)(SII),  के सीईओ अदार पूनावाला (Adar Poonawalla) से इस तरह के बयान की उम्मीद नहीं थी जिसमें उन्होंने कहा कि अगर वैक्सीन का किसी पर उल्टा या खतरनाक असर हो तो वैक्सीन निर्माता कंपनी की इसके प्रति कोई जवाबदेही नहीं होनी चाहिए. उन्होंने मांग की कि कोरोना वायरस की वैक्सीन (Coronavirus Vaccine)  बनाने वाली कंपनियों को किसी भी तरह के कानूनी पचड़े से सरकार बचाए. पूनावाला ने यह बयान वैक्सीन बनाने के रास्ते में आने वाली चुनौतियों को लेकर आयोजित वेबिनार में कही.

उनके इस कथन से लोगों के मन में संदेह होना स्वाभाविक है कि क्या कोरोना वैक्सीन का घातक साइड इफेक्ट हो सकता है? इस महामारी से बचाव के लिए कोई व्यक्ति वैक्सीन लगवा ले और बाद में उसकी वजह से बीमार हो जाए या उसकी जान चली जाए तो कौन जिम्मेदार होगा? वैक्सीन तो ऐसी बननी चाहिए कि इसका कोई घातक रिएक्शन न हो. जब ट्रायल में पूरा संतोष हो जाए और वैक्सीन सुरक्षित पाई जाए, तभी उसे लोगों को लगाना उचित रहेगा. जनता पर इसका एक्सपेरिमेंट नहीं होना चाहिए. कानून के दायरे में तो विश्व की बड़ी-बड़ी कंपनियां भी आती हैं.

जॉनसन एंड जॉनसन(Johnson and johnson) जैसी नामी कंपनी को भी अपने नुकसानदायक बेबी पाउडर के लिए भारी मुआवजा देना पड़ा, फिर पूनावाला वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों के लिए क्यों रियायत मांग रहे हैं? उपभोक्ता का अधिकार है कि यदि कोई उत्पाद या सेवा दोषपूर्ण है तो उससे हुई क्षति के लिए मुआवजा मांगे. वैक्सीन निर्माता कंपनियां इस जिम्मेदारी से बच नहीं सकतीं. वे गारंटी के साथ ऐसी वैक्सीन बनाएं जिसका स्वास्थ्य पर कोई घातक प्रभाव न पड़े.