प. महाराष्ट्र में अतिवृष्टि और बाढ़ से भारी क्षति CM, Dy. CM, पवार सभी दौरे पर

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अतिवृष्टि और बाढ़ से पश्चिम महाराष्ट्र में भारी नुकसान हुआ है. फसलें तबाह हो गई हैं और किसान पूरी तरह मोहताज हो गए हैं. ऐसी हालत में सत्ता पक्ष के नेता और मंत्री, साथ ही विपक्षी नेता भी इन क्षेत्रों के दौरे पर हैं और किसानों से मिलकर प्रत्यक्ष उनका हाल जान रहे हैं. उपमुख्यमंत्री अजीत पवार पहले ही पहुंचे थे. उन्होंने कुछ क्षेत्रों का निरीक्षण किया व लोगों से पूछताछ कर मदद का आश्वासन दिया. अब मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे भी सोलापुर जिले का दौरा कर रहे हैं और स्थिति का प्रत्यक्ष जायजा ले रहे हैं. राकां अध्यक्ष शरद पवार भी 2 दिनों के मराठवाड़ा दौरे पर हैं. इसके अलावा विधानसभा में विपक्ष के नेता व पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी बरामती से अपना दौरा शुरू किया है. मदद व पुनर्वास मंत्री विजय वडेट्टीवार, कैबिनेट मंत्री संदीपन भुमरे, राज्यमंत्री संजय बनसोरे तथा अन्य मंत्री, बीजेपी के सांसद संभाजी राणे, शिवसंग्राम नेता विनायक मेटे ने भी नुकसानग्रस्त क्षेत्रों का निरीक्षण किया. उन्होंने किसानों का दुखदर्द जाना और प्रशासकीय अधिकारियों को फसल नुकसान का पंचनामा करने का आदेश दिया. अतिवृष्टि से खेती का प्रचंड नुकसान हुआ है. एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने उस्मानाबाद जिले का दौरा किया. उन्होंने तुलजापुर व लोहारा तहसीलों के कांकरवाड़ी तथा सस्तुर गांवों में जाकर स्थिति का निरीक्षण किया और किसानों से बात कर उन्हें धीरज बंधाने का प्रयास किया. पवार ने कहा कि वह अगले 8-10 दिनों में अन्य सांसदों के साथ प्रधानमंत्री मोदी से मिलकर राज्य में वर्षा से प्रभावित किसानों के लिए मदद मांगेंगे. वर्षा प्रभावित किसानों की मदद करने में राज्य सरकार की अपनी सीमाएं हैं और ऐसे में केंद्र सरकार को मदद करनी चाहिए.

अतिवृष्टि से भारी क्षति व जनहानि

मूसलाधार बारिश और बाढ़ से महाराष्ट्र के पुणे, कोंकण और औरंगाबाद डिवीजन में कम से कम 48 लोगों की मौत हुई है तथा लाखों हेक्टेयर में लगी फसल बरबाद हो गई है. शहर व पुनर्वसन मंत्री विजय वडेट्टीवार ने कहा कि अतिवृष्टि से फसलों का बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है. पंचनामा अंतिम चरण में है. किसानों की ज्यादा से ज्यादा मदद की जाएगी, उन्हें निराश्रित नहीं छोड़ा जाएगा. किसानों में इतना रोष था कि उन्होंने वडेट्टीवार के वाहनों का काफिला रोक दिया और कहा कि निरीक्षण दौरा बंद कर किसानों को तत्काल मदद दी जाए. नेताओं के इतने दौरे होने के बाद भी किसानों को किसी प्रकार की मदद देने की केंद्र या राज्य सरकार ने अब तक घोषणा नहीं की है. अपना सब कुछ खो बैठे किसानों व उनके परिवारों में शासन के इस रवैये से काफी बेचैनी है.

नेताओं ने विदर्भ से आंख फेरी

अतिवृष्टि से विदर्भ में भी काफी तबाही हुई है. कपास की फसल तो बुरी तरह बरबाद हो गई है. यही हाल सोयाबीन, तुअर आदि फसलों का है. धान के खेतों में भी क्षति हुई है. खेतों में दलदल होकर उपज नष्ट हो गई है. नेताओं को समझना चाहिए कि विदर्भ भी महाराष्ट्र का ऐसा हिस्सा है जो हमेशा से उपेक्षा का शिकार रहा है. नेताओं को चाहिए कि वे विदर्भ के 11 जिलों का भी दौरा करें और देखें कि कितना अधिक नुकसान हुआ है. किसानों की खड़ी फसल बरबाद हो गई. कटाई के बाद खलिहान में रखा अनाज भीग कर खराब हो गया. फल-फूलों के बगीचे भारी वर्षा से तालाब बन गए. कहीं तो कुएं की मुंढेर भी ढह गई.

सर्वपक्षीय प्रतिनिधि मंडलकेंद्र से मदद मांगे

इतनी विकट परिस्थिति में बीजेपी नेता भी क्षेत्रीय राजनीति को परे रखकर शरद पवार के साथ प्रधानमंत्री से मिलने जाएं और सर्वपक्षीय प्रतिनिधि मंडल किसानों को मदद देने की मांग जोर-शोर से उठाए. ऐसा करने से ही समस्या का निदान निकलेगा. महाराष्ट्र का किसान हताश ही नहीं, संतप्त भी है. आज राजनीति की नहीं, समन्वय की समाज नीति की जरूरत है. पश्चिम महाराष्ट्र, मराठवाड़ा, कोंकण और विदर्भ हर कहीं प्रशासकीय अधिकारी फसलों के नुकसान का पंचनामा करें. प्रशासनिक मशीनरी को तत्काल सक्रियता दिखानी होगी.