फिर ‘बड़ों’ की जांच अब तक की गई जांचों से क्या हासिल हुआ

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, जैसे ही पैंडोरा पेपर्स का खुलासा हुआ, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) तुरंत सक्रिय हो गया. उसने अपनी विविध एजेंसियों से जांच शुरू कर दी है. राजनीति, उद्योग, खेल व फिल्मी दुनिया की बड़ी हस्तियों ने काफी मोटी रकम विदेश स्थित टैक्स हैवन्स में जमा कराई है. भारत के 300 से ज्यादा लोगों ने ऐसा किया है.’’ हमने कहा, ‘‘पहले भी तो पनामा पेपर्स और पैराडाइज पेपर्स के मामले गूंजे थे लेकिन अब तक की गई जांच में क्या हासिल हुआ? कोई भी मोटी मछली जाल में नहीं फंसी. ये चालाक लोग टैक्स कानूनों की कमजोरियों या लूपहोल्स का फायदा उठाते हैं. 

    रिकवरी ट्रिब्यूनल के सामने उद्योगपति खुद को देश में दिवालिया घोषित कर देते हैं और अपनी बेशुमार दौलत विदेशी मुल्क में जमा कर देते हैं. कुछ तो ऑफशोर या समुद्रपारीय देशों में कंपनियां व ट्रस्ट भी स्थापित कर देते हैं. अपने देश में टैक्स चोरी करना और अवैध कमाई के अरबों रुपए विदेश में जमा कर देना कितनी बड़ी धोखाधड़ी है! ऐसे लोगों की कारगुजारी सरकार की नजरों में नहीं आ पाती. खोजी पत्रकारों के अंतरराष्ट्रीय समूह (इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स) ने 1 करोड़ 20 लाख दस्तावेजों की छानबीन कर पैंडोरा का पिटारा खोला. इसमें विश्व के बड़े नेता भी लपेटे में आ गए हैं.

    ऐसे 130 अरबपतियों में 35 मौजूदा या पूर्व राष्ट्राध्यक्ष शामिल हैं. ब्रिटेन के पूर्व पीएम टोनी ब्लेयर, रूसी राष्ट्रपति पुतिन, जॉर्डन के किंग, पाक पीएम इमरान खान के करीबियों, पाक सेना के उच्चाधिकारियों के नाम इसमें शामिल हैं.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, कोई सामान्य नागरिक टैक्स अदा न कर पाए तो मुसीबत में पड़ जाता है लेकिन धनकुबेरों को अपनी अवैध कमाई छुपाने के सारे फंडे आते हैं.’’ हमने कहा, ‘‘बड़ों की बात बड़ी है. अनुभव यही रहा है कि जांच तो होती है, फिर भी उन पर कोई आंच नहीं आती.’’