भ्रष्टाचार में भारत सबसे आगे

Loading

हम ईमानदारी, निष्ठा और नैतिक मूल्यों की बात करते थकते नहीं हैं लेकिन कितनी शर्म की बात है कि ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल की ताजा रिपोर्ट में भारत (India) को एशिया का सबसे भ्रष्ट देश बताया गया है. 89 प्रतिशत भारतीय मानते हैं कि सरकारी विभागों का भ्रष्टाचार (Corruption) सबसे बड़ी समस्या बना हुआ है 39 फीसदी लोग रिश्वतखोरी (Bribery) को बड़ी समस्या मानते हैं जबकि 46 फीसदी किसी बात की सिफारिश किए जाने को समस्या मानते है. 18 प्रतिशत भारतीयों की राय है कि वोट के लिए वोट एक बड़ी समस्या है. 11 प्रतिशत लोग मानते हैं कि काम निकलवाने के लिए शारीरिक शोषण एक बड़ी समस्या है.

भ्रष्टाचार के खिलाफ समाजसेवी अन्ना हजारे (Anna hazare) के आंदोलन के समय ऐसा लगा था कि देश में जन-जागृति आएगी और यह कलंक काफी हद तक दूर हो जाएगा परंतु ऐसा नहीं हो पाया. अन्ना हजारे के बहुत पहले केंद्रीय गृह मंत्री रह चुके गुलजारीलाल नंदा (Gulzarilal nanda) ने देश में सदाचार आंदोलन चलाने का प्रयास किया था जिसमें कहा गया था कि न कोई रिश्वत दे और न कोई उसे स्वीकार करे. लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने भी 1974 में भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन चलाया था. यह सारी मुहिम विफल रहीं और भ्रष्टाचार एक दस्तूर बन गया. पुलिस, एक्साइज, लैंड रिकार्ड, पीडब्ल्यूडी, इनकम टैक्स, सेल्स टैक्स, भूमापन रजिस्ट्री जैसे कितने ही विभाग हैं जहां रिश्वतखोरी चलती है. अदालतों के परिसर में घूमने वाले दलालों से कौन वाकिफ नहीं है. दीया तले अंधेरा की स्थिति हर कहीं देखी जाती है 17 प्रतिशत लोग मानते हैं कि कोर्ट सबसे अधिक भ्रष्ट हैं. एफेडेविट बनवाने, पेशी बढ़वाने जैसे कामों में भ्रष्टाचार होने की शिकायतें आम हैं.

अफसरों की काली कमाई

भ्रष्ट अफसरों के हौसले इतने बढ़ जाते हैं कि वे खुले आम राजसी ठाठ का प्रदर्शन करते हैं. ओडिशा के वन विभाग में तैनात एडीशनल चीफ कंजर्वेटर अभयकांत पाठक ने कोरोना संकट के समय लागू लॉकडाउन के दौरान अपने परिवार के साथ 20 बार चार्टर्ड विमान से पटना, मुंबई, दिल्ली और पुणे की यात्रा की. एक केंद्रीय एजेंसी ने ओडिशा की नवीन पटनायक सरकार को वन अधिकारी की इन यात्राओं के बारे में बताया. इसके बाद उसके भुवनेश्वर, मुंबई, पुणे तथा बिहार व राजस्थान के ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की गई ताकि उसकी संपत्तियों का पता लगाया जा सके. पाठक ने पुणे में 5 लाख रुपए महीने पर एक फार्महाउस किराए पर ले रखा है जबकि उनका वेतन भी इससे काफी कम होगा. इस अधिकारी के ड्राइवर के घर से भी काफी नकद रकम बरामद की गई. पाठक ने अपने बेटे और खुद के लिए 4 निजी बॉडीगार लगा रखे हैं. हर बॉडीगार्ड को हर माह 50,000 रुपए वेतन दिया जाता है.

रेलवे के चीफ इंजीनियर की अकूत संपत्ति

भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ देशव्यापी कार्रवाई के दौरान सीबीआई ने पूर्व मध्य रेल हाजीपुर में तैनात चीफ इलेक्ट्रिकल इंजीनियर रविश कुमार के ठिकानों पर छापा मारकर आय से बहुत अधिक संपत्ति बरामद की. उसने अपनी वैध आमदनी से 183 प्रतिशत से अधिक काली कमाई कर ली थी. इस इंजीनियर के यहां तलाशी में 76 लाख रुपए नकद, 50 लाख रुपए के सोने-चांदी के आभूषण, जमीन मकान आदि के 15 कागजात बरामद हुए. उनके कई फ्लैट व प्लाट हैं तथा उसकी संपत्ति बिहार के शहरों के अलावा यूपी के नोएडा में भी है. जिस तरह शेर के मुंह में खून लग जाता है वैसे ही कितनी भी तनख्वाह मिलने के बावजूद अफसर रिश्वतखोरी व भ्रष्टाचार से बाज नहीं आते. जिनके हाथ से ठेके या टेंडर पास करने का अधिकार है वे पार्टी से मोटी रकम लिए बिना मंजूरी ही नहीं देते. बिल तभी पास करते हैं जब उनकी मुट्ठी गर्म कर दी जाए. ऐसे भ्रष्टाचारी न केवल बेशर्म और ढीठ हो जाते हैं बल्कि उन्हें किसी का डर ही नहीं रहता. कुछ तो यह मानकर चलते हैं कि अगर किसी आरोप में फंस गए तो महंगे से महंगा वकील खड़ा कर देंगे और न्याय को खरीद लेंगे. या ले-देकर मामला रफा दफा कर देंगे. यह इन लोगों का दुस्साहस नहीं तो और क्या है?

न आदर्श, न नैतिकता

पहले लोग पाप-पुण्य की भावना रखते थे और ईश्वर से डरते थे समाज में बदनामी का और कानून का डर भी रहता था लेकिन भ्रष्टाचारी इनमें से किसी भी बात की परवाह नहीं करते और मानते हैं कि उन्हें जो पद मिला है वह अंधाधुंध कमाई, रिश्वत और कमीशनखोरी के लिए ही मिला है. छोटे चोर जल्दी पकड़े जाते हैं लेकिन ऐसे बड़े चोरों पर मुश्किल से ही आंच आती है.