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सिडनी टेस्ट मैच (Sydney Test Match) के दौरान आस्ट्रेलिया (Australia) के तुच्छ मानसिकता वाले वर्णद्वेषी दर्शकों ने जिस तरह भारतीय खिलाड़ियों पर नक्सलवादी फिकरे कसे, वह अत्यंत असहनीय है. आस्ट्रेलिया के क्रिकेट बोर्ड, वहां की सरकार व पुलिस को सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य में कभी इस तरह की नीचतापूर्ण हरकत न होने पाए. क्रिकेट में खिलाड़ी की त्वचा का रंग नहीं, उसका खेल कौशल महत्व रखता है. क्रिकेट सिर्फ गोरों की मोनोपली नहीं है. यह खेल केवल इंग्लैंड, आस्ट्रेलिया या न्यूजीलैंड तक सीमित नहीं रहा. भारत (India), वेस्टइंडीज, द. अफ्रीका, श्रीलंका, पाकिस्तान के बगैर विश्व क्रिकेट पूरा नहीं होता.

आईपीएल जैसे टूर्नामेंट में तो मिक्स टीमें रहती हैं जिसमें विभिन्न देशों के खिलाड़ी शामिल रहते हैं. शतकों का शतक बनाने वाले सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) की तो क्रिकेट के दिग्गज डॉन ब्रैडमैन ने भी भूरि-भूरि प्रशंसा की थी. आस्ट्रेलिया के दर्शक इतना असभ्यतापूर्ण व शर्मनाक व्यवहार कर ब्रैडमैन की आत्मा को चोट पहुंचा रहे हैं. यह टेस्ट सीरीज गावस्कर-बार्डर ट्राफी के नाम से खेली जा रही है. अपने जमाने में सुनील गावस्कर अत्यंत ऊंचे दर्जे के सलामी टेस्ट बल्लेबाज रहे हैं. मोहम्मद सिराज को चिल्लाकर ‘ब्राउन डॉग गो होम’ (Brown Dog, Go Home) तथा ‘बिग मंकी’ कहने वाले दर्शकों की परवरिश में दोष है. ऐसा वर्णभेदी अपमान अस्वीकार्य है जो कि सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में हमेशा होता है.

खेल लोगों की एकता बढ़ाने के लिए होता है, न कि उन्हें विभाजित करने के लिए! रविचंद्रन अश्विन ने कहा कि सिडनी के मैदान पर पहले भी ऐसा बुरा अनुभव आता रहा है. यह खिलाड़ियों की गलती नहीं है, वहां के दर्शक ही वर्णद्वेषी अपशब्द कहते हैं. इस समस्या से अत्यंत सख्ती से निपटे जाने की आवश्यकता है. सिराज और बुमराह ने इस मामले को उठाया और फिर भारतीय टीम ने अधिकृत रूप से शिकायत दर्ज की. गेंदबाजी और फील्डिंग करते समय भारतीय खिलाड़ियों को इस तरह के अपमान से जूझना पड़ता है. यह आस्ट्रेलिया क्रिकेट बोर्ड की जिम्मेदारी है कि ऐसे हुल्लड़बाज उपद्रवी दर्शकों पर सख्त कार्रवाई करे जो खेल देखने नहीं, बल्कि भारतीय खिलाड़ियों का अपमान करने आते हैं. इससे खेल भावना बुरी तरह आहत होती है.