भारतीय शारीरिक व मानसिक रूप से मजबूत

चीन के सबसे बड़े संक्रामक रोग विशेषज्ञ ने भारत में पढ़ रहे चीनी छात्रों को इस तथ्य से अवगत कराया कि कोरोना वायरस बीमारी से निपटने के लिए भारत के लोग शारीरिक ही नहीं, मानसिक रूप से भी मजबूत हैं।

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चीन के सबसे बड़े संक्रामक रोग विशेषज्ञ ने भारत में पढ़ रहे चीनी छात्रों को इस तथ्य से अवगत कराया कि कोरोना वायरस बीमारी से निपटने के लिए भारत के लोग शारीरिक ही नहीं, मानसिक रूप से भी मजबूत हैं। भारतीयों की इम्यूनिटी या रोग प्रतिरोधक क्षमता तुलनात्मक रूप से दूसरे देशों के लोगों से अधिक रहती है। उन्होंने कहा कि भारत में संक्रमण की दर अमेरिका से कम है और भारत में संक्रमण 10 प्रतिशत से अधिक नहीं बढ़ेगा। चीन के इस विशेषज्ञ का आकलन निश्चित रूप से सही है। यूरोप-अमेरिका के हट्टे-कट्टे लोगों की तुलना में भारतीयों की इम्यूनिटी ज्यादा रहती है। कोई भी भारतीय 45 डिग्री सेल्सियस तापमान में भी मजे से घूम फिर लेता है जबकि कोई यूरोपियन इतनी गर्मी या धूप बर्दाश्त नहीं कर सकता। वह बेहोश होकर गिर जाएगा। विदेश से भारत आने वाले लोगों को बिसलेरी की बोतल का या उबला हुआ पानी पीने की मजबूरी रहती है। वे यहां का नल का पानी पी लें तो उन्हें डायरिया हो जाता है। थोड़ी सी धूल-मिट्टी का स्पर्श भी उन्हें बीमार कर सकता है। भारतीय इतने नाजुक नहीं होते। कहते हैं कि जो बच्चा छुटपन से धूल-मिट्टी में खेलता है, उसे अस्थमा नहीं होता और ज्यादा साफ-सफाई से रहने वाले बच्चों को आगे चलकर थोड़ी सी धूल भी बर्दाश्त नहीं होती। अमेरिका में इतनी साफ-सफाई व बढ़िया टाउन प्लानिंग है लेकिन फिर भी वहां अधिकांश लोगों को परागकण (पोलन) से अथवा मूंगफली (पीनट) से एलर्जी होती है। हमारे देश में मजदूर-किसान कड़ाके की ठंड व तेज धूप में काम करते हैं। उनका शरीर हर तरह के मौसम का अभ्यस्त हो जाता है। वे कहीं का भी पानी पी लेते हैं, जो रूखा-सूखा मिलता है वह खा लेते हैं, फिर भी उनका स्वास्थ्य ठीक रहता है। बीमार होते हैं तो जल्दी ही अच्छे भी हो जाते हैं। भारतीयों की रोग प्रतिरोधक क्षमता इसलिए भी बढ़ती है क्योंकि वे हर प्रकार की बीमारियों के सूक्ष्म जंतुओं से घिरे रहते हैं और वे इसके अभ्यस्त हो जाते हैं व उनकी इम्युनिटी डेवलप हो जाती है। विदेश में भरपूर कीटनाशक का इस्तेमाल कर मच्छर-मक्खी कीड़े-मकोड़े मार दिए गए इसलिए वहां के डाक्टरों को मलेरिया-टाइफाइड का इलाज करना नहीं आता। भारत में हर तरह की बीमारियां हैं तो उनसे जूझने की प्राकृतिक क्षमता भी भारतीयों में आ गई है। जो जितना नाजुक होगा, उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता उतनी ही कम होगी।