JEE मेन्स परीक्षा में इतनी सतर्कता, फिर भी घोटाला

Loading

कितने आश्चर्य व खेद की बात है कि जेईई मेन्स (JEE Main scam)जैसी महत्वपूर्ण परीक्षा में भी फिल्म मुन्नाभाई एमबीबीएस जैसा घोटाला सामने आया है. एक परीक्षार्थी के बदले कोई दूसरा होशियार व्यक्ति परीक्षा दे, यह कितनी बड़ी धांधली है! फर्जी तरीक से परीक्षा पास करने के लिए जब ऐसे हथकंडे अपनाए जाते हैं तो उसमें मोटी रकम का खेल तथा कई लोगों की मिलीभगत रहती है. गुवाहाटी में ऐसा बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया जब 99.8 प्रतिशत अंक के साथ असम में टॉप करने वाले नील नक्षत्र दास, उसके पिता व गुवाहाटी के प्रसिद्ध डाक्टर ज्योतिर्मय दास के अलावा गुवाहाटी परीक्षा केंद्र के 3 कर्मचारी हमेंद्रनाथ सरमा (Hemendra Nath Sarma), प्रांजल कलिका (PranjalKalita)व हीरालाल पाठक को पुलिस ने गिरफ्तार किया. जब कोई होशियार छात्र किसी परीक्षार्थी की जगह पेपर देगा तो उसका अच्छा अंकों से पास होना सुनिश्चित हो जाता है. ऐसी धोखाधड़ी से परीक्षा उत्तीर्ण कराने वालों का रैकेट रहता है जो प्रतिभाशाली छात्रों से किसी दूसरे का पेपर हल करवाते हैं. बगैर साठगांठ के ऐसा होना संभव नहीं है.

सेंटर कर्मचारियों की भूमिका

जांच में पता चला कि टॉपर नील नक्षत्र दास ने एक बिचौलिया एजेंसी की मदद से प्रॉक्सी का इंतजाम कराया था. इस घोटाले में सेंटर के कर्मचारी भी शामिल थे. जब गुवाहाटी में ऐसा फर्जीवाड़ा हुआ तो अन्य जगह भी बिचौलिया एजेंसी ने ऐसी धांधली करवाई होगी. यह एक बड़े घोटाले का हिस्सा हो सकता है. इसका साफ मतलब है कि विजिलेंस में कमजोरी है और पैसों के जोर व मिलीभगत से ऐसा परीक्षा घोटाला होता है. यह केंद्र टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज की एक इकाई टीसीएस-आईओएन द्वारा संचालित है. टीसीएस ने एक स्थानीय एजेंसी से इन्फ्रास्ट्रक्चर लीज पर लिया था.

कैसे हुआ भंडाफोड़

इस मामले में मित्रदेव शर्मा ने गत 23 अक्टूबर को एफआईआर दर्ज कराई थी, इसके आधार पर पुलिस ने जांच शुरू की. एक फोन कॉल रिकार्डिंग और सोशल मीडिया चैट के कुछ स्क्रीनशॉट वायरल होने के बाद यह घोटाला सामने आया. इसमें मुख्य आरोपी टॉपर नील नक्षत्र दास ने उच्चतम अंक हासिल करने के लिए अनुचित साधनों (अनफेयर मीन्स) का इस्तेमाल करने की बात कबूल की. परीक्षा केंद्र के इन्वेस्टिगेटर ने उत्तर पुस्तिका पर हस्ताक्षर व अपना रोल नंबर लिखने के बाद उसे केंद्र से बाहर निकलने में मदद की थी, जिसे बाद में उसकी जगह परीक्षा देने वाले (प्रॉक्सी) ने इस्तेमाल करके पेपर सॉल्व किया.

यूपी, बिहार के बाद असम भी

अब तक यूपी-बिहार में नकल कराने या फर्जी छात्र से परीक्षा दिलवाने के  मामले हायर सेकंडरी या इंटरमीडिएट स्तर पर होते रहे. बिहार में एक टॉपर लड़की का तो बुरी तरह भंडाफोड़ हो गया था जिसे अपने टॉप किए हुए विषय का नाम व स्पेलिंग बताना भी नहीं आता था. अब प्रॉक्सी से परीक्षा दिलवा कर टॉप करने की यह बीमारी जेईई मेन्स जैसी प्रतिष्ठा सूचक परीक्षा तक आ गई. यह किसी संगठित गिरोह की कारगुजारी है, जिसके सरगना को पकड़ना होगा. तभी सारे नेटवर्क का भंडाफोड़ हो सकेगा.