कारगिल विजय दिवस : जब इंडियन आर्मी के रणबांकुरों से डरकर पाकिस्तान ने अमेरिका से लगाई थी गुहार, जानें गौरव का वो अहम पल

    Loading

    नई दिल्ली : कारगिल युद्ध भारतीय इतिहास का एक ऐसा पन्ना है, जहां कई रोचक कहानियां है। आज भी हम उन कहानियों को जानने की जिज्ञासा रखते  है। 26 जुलाई, 1999 एक ऐसा दिन था जब हमने पाकिस्तान को उसकी हरकतों का करारा जवाब देते हुए कारगिल युद्ध जीता था। कारगिल युद्ध  हम सब देशवासियों के लिए इतिहास की महत्वपूर्ण घटना है। देश में इस दिन वीर जवानों की शहादत को याद करते है। इस वीरता और शौर्य की मिसाल  को सलामी देने के लिए कारगिल विजय दिवस मनाते है। कारगिल युद्ध से जुड़ी एक घटना है जब भारत से डरकर पाकिस्तान ने अमेरिका से गुहार  लगाई थी। फिर आगे क्या हुआ चलिए जानते है……   

    जब पाकिस्तान ने अमेरिका से की मिन्नतें 

    कारगिल की ऊंची पहाड़ियों पर करीब दो महीने तक चले इस युद्ध में भारतीय सेना के हिम्मत और जज्बे के सामने पाकिस्तान सैनिकों ने अपने घुटने टेक दिए थे। भारतीय थल सेना और वायु सेना ने पाक चौंकियों पर निशाना साधें और जमकर हमले किये। भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की कोशिश पाकिस्तान को भारी पड गई। जब उन्हें समझ आया की भारतीय सेना के सामने अपनी दाल गलने से रही, तो उन्हें गलती का एहसास हुआ तब उसने अंतराष्ट्रीय समुदाय के पैर पकड़कर गिडगिडाना शरू किया। ऐसे में दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका से गुहार लगाई, लेकिन तत्कालीन राष्ट्रपति बिल किलंटन ने सीधे मुहं दो टूक कह दिया कि पहले अपनी सेना को वापस बुलाओ, उसके बाद ही बात होगी। 

    अकेला पड़ा पाकिस्तान, पीछे हटने पर हुआ मजबूर 

    भारतीय सेना से हो रहे युद्ध में पाकिस्तानी सेना को यह समझ आया की भारतीय सेना अब पीछे हटने वालों में से नहीं है। दूर- दूर तक उन्हें जीत के आसार नजर नहीं आ रहे थे। और दूसरी और सैनिक मारे जा रहे थे। ऐसे में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर अपनी बात रखी और बदले में मदद मांगी। लेकिन अमेरिका ने खरी खोटी सुना कर पाकिस्तान को पीछे हट जाने को कहा।भारत को मिले अंतरराष्ट्रीय सहयोग की वजह से पाकिस्तानी सेना को पीछे हटने पर मजबूर होना पड़ा। यह युद्ध ऊंचाई वाले इलाके पर हुआ और दोनों देशों की सेनाओं को लड़ने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। इस साल  कारगिल युद्ध को 22 साल पूरे हो जाएंगे।  आज हम आपको इस युद्ध से जुड़ी 10 खास बातें बताते है। 

    1. कारगिल युद्ध के दौरान एलओसी से पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ने के लिए कारगिल में चलाए गए इस अभियान को ऑपरेशन विजय नाम दिया गया। 

    2. ये युद्ध एक दो दिन नहीं बल्कि 60 दिनों तक चला। मई में शुरू हुई जंग में 26 जुलाई को भारतीय सेना ने जीत हासिल की और कारगिल के चोटी पर तिरंगा फहराया। 

    3. भारतीय सैनिक के लिए यह युद्ध बेहद चुनौती भरा था क्योंकि पाक सैनिक ऊंची पहाड़ियों पर बैठे थे, इस वजह से भारतीय सैनिकों को काफी मुश्किलों का सामना भी करना पड़ा। भारतीय जवानों ने रात में मुश्किल चढ़ाई की ताकि दुश्मन की नजर न पड़े। 

    4. इस युद्ध में जीत हासिल करने में भारतीय वायुसेना की बड़ी भूमिका रही। वायुसेना ने पाक सैनिकों पर 32000 फीट की ऊंचाई से बम बरसाए। मिग—29, मिग—29 और मिराज—2000 विमानों का इस्तेमाल किया गया। इस दौरान पाकिस्तान ने हमारे दो लड़ाकू विमान मार गिराए थे जबकि एक क्रैश हो गया था। 

    5. युद्ध को जीतना आसान नहीं था। इसके लिए हर वो बारीकियों पर नजर रखना जरुरी था जिससे पाकिस्तान सेना को किसी भी तरह की सुविधा न मिले। नौसेना की भूमिका भी अहम रही। नौसेना ने ऑपरेशन तलवार चलाया। इसके तहत कराची समेत कई पाक बंदरगाहों के रास्ते रोक दिए गए ताकि वह कारगिल युद्ध के जरूरी तेल व ईंधन की सप्लाई न कर सके। साथ ही भारत ने अरब सागर में पाक के व्यापार रूट को भी अवरुद्ध कर दिया था।

    6. युद्ध में न केवल जीत हासिल की, हमने अपने देश के सपूत खो दिए है। इस युद्ध में 527 भारतीय जवान शहीद हुए और 1363 घायल हुए। पाकिस्तान की ओर से भी करीब 3000 सैनिक मारे गए। मगर पाकिस्तान ने इसे स्वीकार नहीं किया। उसका दावा है कि उसके सिर्फ 357 सैनिक ही मारे गए हैं। 

    7. युद्ध में बोफोर्स तोप कारगर साबित हुई।  इस युद्ध में बोफोर्स तोपों ने पाकिस्तानी सेना के छक्के छुड़ा दिए। इस तोप के खरीददारी पर खूब विवाद हुआ था, लेकिन कारगिल में बहुत काम आई।

    8. तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी ने 14 जुलाई को ही युद्ध की घोषणा कर दी थी। मगर आधिकारिक तौर पर 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस की घोषणा हुई। 

    9. शुरुआत में पाकिस्तान ने युद्ध में अपनी भूमिका होने की बात स्वीकार नहीं कर रहा था। उसका कहना था कि इसमें कश्मीर की आजादी मांगने वाले लोगों का हाथ है। मगर बाद में उसने युद्ध में मारे गए अपने जवानों का सम्मान किया।

    10. तत्कालीन पीएम वाजपेयी ने पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को खूब लताड़ लगाई थी। उन्होंने कहा था कि मेरा लाहौर बुलाकर स्वागत करते हैं और उसके बाद कारगिल का युद्ध छेड़ देते हैं यह बहुत बुरा व्यवहार है।