हमसे सीखो देश चलाना मुस्लिम देश कतर की तालिबान को नसीहत

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    अफगानिस्तान पर पूरी तरह कब्जा करने के बाद तालिबान जिस तरह के कट्टर और मध्ययुगीन तरीके से अपनी हुकूमत चला रहा है, उसे देखते हुए खाड़ी देश कतर ने नाराजगी जाहिर की है. यद्यपि कतर ने पहले तालिबान को खुले दिल से समर्थन दिया था लेकिन अब उसे तालिबान का रवैया पसंद नहीं आ रहा है. तालिबान महिलाओं का दमन कर रहे हैं. उनकी पढ़ाई-लिखाई पर रोक लगा दी गई है. नौकरी करने या घर से बाहर निकलने पर भी प्रतिबंध है. इस बात से नाराज होकर कतर के विदेश मंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुल रहमान थानी ने कहा कि लड़कियों की शिक्षा को लेकर तालिबान का रवैया बेहद निराश करनेवाला है. 

    यह कदम अफगानिस्तान को और पीछे धकेल देगा. अगर वाकई तालिबान को एक इस्लामिक सिस्टम अपने देश में चलाना है तो उसे कतर से सीखना चाहिए. हमें लगातार तालिबान के साथ बात करने की जरूरत है. उनसे आग्रह है कि वे विवादित एक्शन से दूरी बनाए रखें. कतर तालिबान को यह दिखाने की कोशिश कर रहा है कि एक इस्लामिक देश होकर कैसे कानूनों को चलाया जा सकता है और कैसे महिलाओं के मुद्दों के साथ डील किया जाता है. कतर एक मुस्लिम देश है जिसका सिस्टम इस्लामिक है लेकिन फिर भी जब बात शिक्षा और कामकाज (एजुकेशन और वर्कफोर्स) की आती है तो कतर में पुरुषों की तुलना में महिलाएं ही ज्यादा मिलेंगी.

     कतर तालिबान से उम्मीद करता हैं कि पिछले कुछ वर्षों में अफगानिस्तान में जो प्रगति हुई है, उसे बनाए रखेगा. अमेरिकी सेना की वापसी के बाद मची उथलपुथल के दौरान कतर ने काबुल एयरपोर्ट का संचालन संभालने में काफी मदद दी थी तथा हजारों विदेशियों और अफगानों को देश से निकालने में भी सहायता दी थी. तालिबान के कब्जे के बाद वहां अपना उच्चस्तरीय प्रतिनिधि मंडल भेजनेवाला कतर दुनिया का पहला देश था. उसने कट्टर व दकियानूस तालिबान को सही सलाह दी है परंतु क्या वह मानेगा? ऐसी सलाह देना उलटे घड़े पर पानी डालने के समान है.