महात्मा गांधी को अपशब्द, गोडसे को प्रणाम, ये धर्म संसद है या अधर्म संसद?

रायपुर में अकोला (महाराष्ट्र) के संत कालीचरण ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को अपशब्द कहे और उनके हत्यारे नाथूराम गोडसे को नमस्कार किया.

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    संविधान की प्रस्तावना के अनुसार हमारा राष्ट्र धर्मनिरपेक्ष है जो विभिन्न धर्मों के बीच कोई भेदभाव नहीं करता. ऐसी सर्वसमावेशकता पर देशवासियों को गर्व रहा है और विदेशी भी आश्चर्य करते रहे हैं कि इतने धर्म, भाषा और जातियां होने के बावजूद भारत ने कैसे अनेकता में एकता कायम रखी? इसके बावजूद जब भारत अपनी आजादी की 75वीं सालगिरह मना रहा है तो कट्टरता और असहिष्णुता का एक नया दौर जानबूझकर शुरू किया गया है. इसके जरिए नफरत और हिंसा फैलाने की खोटी नीयत साफ नजर आती है. ऐसी हरकतों से परस्पर अविश्वास और दुश्मनी को ही बढ़ावा मिलेगा. प्रश्न उठता है कि क्या 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव देखते हुए इस तरह की कट्टरतावादी मुहिम बीजेपी और संघ के इशारे पर चलाई जा रही है? इस दौरान उत्तराखंड के हरिद्वार और छत्तीसगढ़ के रायपुर में धर्म संसद के आयोजन हुए जिनमें हिंदू धर्म का उदार व समावेशी स्वरूप भुला दिया गया और अत्यंत कट्टर, संकीर्ण, अनुदार व हिंसक तरीके से लोगों को भड़काया गया. यह विवेकानंद, स्वामी दयानंद, महात्मा गांधी और मदनमोहन मालवीय के उदार दृष्टिकोण के सर्वथा विपरीत था. क्या ऐसी धर्म संसदों के पीछे कोई सोची-समझी राजनीतिक साजिश है?

    कालीचरण की करतूत

    रायपुर में अकोला (महाराष्ट्र) के संत कालीचरण ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को अपशब्द कहे और उनके हत्यारे नाथूराम गोडसे को नमस्कार किया. रायपुर धर्म संसद के मुख्य संरक्षक महंत रामसुंदर दास ने कालीचरण की आलोचना करते हुए कहा कि यह सनातन धर्म नहीं है और न ही धर्म संसद के मंच से इस तरह की बात होनी चाहिए. इसके बाद रामसुंदर दास नाराज होकर मंच छोड़कर चले गए. बापू के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल करने वाले संत कालीचरण के खिलाफ रायपुर पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई गई. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि गुंडा भगवा वस्त्र पहन ले तो उसे संत नहीं कहा जा सकता. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने भी मांग की कि कालीचरण बाबा के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज कर तुरंत सजा दी जानी चाहिए. उधर कालीचरण ने ट्वीट कर कहा कि गांधी को गाली देने का उन्हें कोई अफसोस नहीं है और चुनौती देते हुए कहा कि मुझे फांसी पर चढ़ा दो, कोई फर्क नहीं पड़ता.

    हरिद्वार में गैर हिंदुओं के सफाए का आवाहन

    लगभग 2 सप्ताह पूर्व हुई हरिद्वार की धर्म संसद में संविधान में वर्णित धार्मिक आजादी या अपना मनपसंद धर्म मानने की स्वतंत्रता को ताक पर रखकर लोगों ने शपथ ली कि वे भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए लड़ेंगे, मरेंगे और मारेंगे. वहां कहा गया कि गैर हिंदू आबादी का सफाया करने के लिए म्यांमार जैसा सफाई अभियान चलाया जाए. इस प्रकार के भड़काने वाले संदेशों से कितने ही कट्टर लोग मनमानी और हिंसा पर उतर आते हैं और देश में उद्वेलित करने वाली घटनाएं होती हैं. हरियाणा के गुरुग्राम में शुक्रवार की नमाज में व्यवधान डाला गया. असम से कर्नाटक तक क्रिसमस समारोह में बाधा डाली गई. बेंगलुरू में एक मुस्लिम की दूकान जबरदस्ती बंद करवाई गई क्योंकि वहां बोर्ड पर साई शब्द लिखा था.

    कट्टरपंथियों का हौसला बढ़ रहा

    कानून और संविधान के खिलाफ ऐसे कृत्य होने पर भी पुलिस और अधिकांश राजनेता कुछ नहीं करते. वे ऐसे भड़काऊ संगठनों पर कार्रवाई करना तो दूर, उनकी आलोचना तक नहीं करते. कानून के रखवालों की उदासीनता व अकर्मण्यता की वजह से ऐसे कट्टरपंथी समूहों का हौसला बढ़ता जा रहा है. वे मानकर चलने लगे हैं कि उनके हिंसक कृत्यों पर कोई सजा नहीं मिलेगी. ये संगठन दिखाना चाहते हैं कि वे देश के बहुसंख्यकों के धर्म के लिए काम कर रहे हैं. उनकी ऐसी हरकतों से सांप्रदायिक उपद्रव भड़क सकते हैं जिसका देश को खामियाजा भुगतना पड़ सकता है.