स्वास्थ्य मंत्री ने कहा सतर्क रहें, वित्त मंत्री ने घूमने की सुविधा दी

  • केंद्रीय मंत्रालयों में तालमेल नहीं

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केंद्र सरकार के मंत्रालयों में तालमेल का अभाव साफ दिखाई देता है. कोरोना (Coronavirus) संकट को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन (Union Health Minister Harsh Vardhan) कहते हैं सतर्क रहो लेकिन दूसरी ओर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala sitharaman) ने कर्मचारियों को घूमने की सुविधा दी है. यह कैसी विसंगति है? जब कोई संकट सामने आता है तो उससे निपटने के लिए एकजुट होकर उपाय किए जाते हैं. इस समय देश की अर्थव्यवस्था गंभीर दौर से गुजर रही है किंतु उसका मुकाबला करने के लिए सरकार के पास कोई व्यापक व सोची-समझी नीति है क्या? केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि नवंबर में पुन: कोरोना महामारी तीव्र होने के आसार हैं लेकिन वित्त मंत्री ने अपने सभी अधिकारियों व कर्मचारियों को त्यौहारों के मौके पर 10,000 रुपए का ब्याजमुक्त एडवांस देने की घोषणा की है. यह रकम लीव एंड ट्रैवल (छुट्टी लेकर पर्यटन करना) योजना की है. वित्त मंत्री को लगता है कि केंद्रीय कर्मचारी पर्यटन करेंगे तो पर्यटन क्षेत्र से जुड़े लोगों व सेवा उद्योगों को काम मिलेगा और उनकी क्रयशक्ति बढ़ेगी. इस क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों, खास तौर से असंगठित क्षेत्र के लोगों को दिलासा मिलेगी. वित्त मंत्री ने अपने दृष्टिकोण से यह फैसला किया है. यह 10,000 रुपए का एडवांस प्रीपेड रुपे कार्ड के रूप में होगा तथा इस फेस्टिव एडवांस को 31 मार्च 2021 तक खर्च करना होगा. इन पर सरकार 4,000 करोड़ रुपए खर्च करेगी. कर्मचारियों को इस अग्रिम का भुगतान 10 किस्तों में करना होगा. एलटीसी के लिए सरकार 5,675 करोड़ रुपए खर्च करेगी. वहीं केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों तथा बैंकों को 1900 करोड़ रुपए खर्च करने होंगे. वित्त मंत्री ने कहा कि इस तरह नगद रकम जारी करने के कदम से 19,000 करोड़ रुपए की मांग पैदा होगी.

सामान्य व्यक्ति से लेकर उद्योग तक बुरा हाल

पहले ही लॉकडाउन की वजह से सामान्य व्यक्ति से लेकर उद्योजकों तक को करारा झटका लगा है और उनकी हालत दयनीय हो गई है. लोग खर्च में कटौती के लिए मजबूर हैं. उनकी बचत की रकम भी हाथ से निकलती चली जा रही है. वे अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं. निवेश के अभाव में अर्थव्यवस्था का बुरा हाल हो गया है. अधिकांश राज्यों को अर्थव्यवस्था का संकट झेलना पड़ रहा है. उनके राजस्व की रकम कर्मचारियों के वेतन-भत्ते पर खर्च हो जाती है. यदि राज्यों को केंद्र से रकम मिले तो वे सड़क, पुल आदि बुनियादी ढांचे का काम शुरू कर सकते हैं जिनसे लोगों को रोजगार मिल सकता है. इससे वस्तु, श्रम व सेवा की मांग उत्पन्न हो सकती है, जिसका फायदा अन्य क्षेत्रों को भी हो सकता है.

निजी क्षेत्र पर विपरीत असर

कोरोना से जो आर्थिक क्षति हुई, उसका प्रभाव निजी क्षेत्र के कर्मचारियों पर ज्यादा पड़ा है. कितने ही लोगों को नौकरी खोनी पड़ी तो बहुतों की वेतन कटौती की गई. सरकारी कर्मचारियों को ऐसी मुश्किलें नहीं झेलनी पड़ीं. केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों को खुश करने करने के लिए पर्यटन योजना तथा त्यौहारों के लिए बिना ब्याज का एडवांस दे रही है. इस तरह उन्हें खर्च करने के लिए प्रवृत्त किया जाएगा. खर्च करो और देश की मदद करने का समाधान भी हासिल करो, ऐसी इस योजना के पीछे की भावना है.

यह कैसी विसंगति

यह कैसी विसंगति है कि एक ओर तो राज्यों को जीएसटी की भरपाई नहीं किए जाने से राज्यों का बुरा हाल है तथा केंद्र उन्हें कर्ज लेने की सलाह देकर अपनी जिम्मेदारी से हाथ झटक रहा है, वहीं दूसरी ओर केंद्रीय कर्मचारियों को उदारतापूर्वक लीव एंड ट्रैवल योजना की रकम दी जा रही है. कर्मचारियों को नकद वाउचर देने की घोष्णा की गई है जिनका इस्तेमाल ऐसे गैर खाद्य सामान खरीदने के लिए किया जा सकता है जिन पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लगता है. वित्त मंत्री ने कहा कि कर्मचारी इन वाउचर का इस्तेमाल ऐसे प्रोडक्ट खरीदने के लिए कर सकते हैं जिन पर जीएसटी की दर 12 प्रतिशत या अधिक है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान देश की बचत में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. इस योजना के आधार पर राज्य सरकारें भी अपने कर्मचारियों के लिए सुविधाएं लागू कर सकती हैं. इससे बाजार में मांग बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था में गति आएगी. केंद्र व राज्यों के स्तर पर कुल 12,000 करोड़ रुपए की मांग निर्मित हो सकती है. निजी क्षेत्र के उद्योग भी इस आधार पर उपाय योजना कर सकते हैं. ऐसा होने पर निजी क्षेत्र से भी 16,000 करोड़ का योगदान हो सकता है. केंद्रीय कर्मचारियों को उनकी श्रेणी के मुताबिक प्रवास भत्ता मिलेगा. त्यौहारों के लिए एडवांस के रूप में 10,000 रुपए दिए जा रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कदम की सराहना करते हुए कहा कि सीतारमण की घोषणा से देश की अर्थव्यवस्था को निश्चित रूप से बढ़ावा मिलेगा. ग्राहकों की खर्च क्षमता में वृद्धि होगी, जिससे बाजार में पूंजी आएगी.

अर्थशास्त्रियों की राय

अर्थशास्त्रियों की राय है कि कोरोना आपदा में बहुत कम लोग घूमने जाएंगे, इसलिए एलटीसी का पैसा बाजार में आएगा. इससे इकोनॉमी को जरूर मदद मिलेगी. अभी इकोनॉमी 10 प्रतिशत की दर से गिर रही है तो इसके बाद 9 प्रतिशत की दर से गिरेगी. कंज्यूमर ड्यूरेबल क्षेत्र में उछाल आ सकता है. जिन देशों में सरकार ने पैसा सीधे हाथों में दिया, वहां खर्चा कम हुआ लेकिन यहां खर्च करने पर ही सरकार पैसा देगी. स्कीम यह है कि अपने एलटीसी की पूरी रकम पाने के लिए उससे तीन गुना खर्च करना होगा और वह भी 12 प्र.श. या इससे ज्यादा जीएसटी वाली चीजों पर. केंद्रीय कर्मियों को एलटीसी कैश वाउचर खरीद कर बिल जमा करने पर रकम का भुगतान किया जाएगा. खरीद या होटल जैसी सेवा का भुगतान डिजिटली ही करना होगा. यह योजना 31 मार्च 2021 तक लागू रहेगी.