पड़ोसी देशों से भारत की दोस्ती, चीन को लगी मिर्ची

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दक्षिण एशिया में चीन के मकड़जाल को तोड़ने के लिए भारत बिल्कुल सही कूटनीतिक कदम उठा रहा है, बल्कि यूं कहना होगा कि चीन के नहले पर भारत ने दहला जड़ दिया है. चीन (China) ने भारत (India) की घेराबंदी करने का जो कुचक्र रचा था, उसे भारत सरकार बड़ी सूझबूझ और दक्षता से भेद रही है. चीन ने श्रीलंका को हम्बनटोटा बंदरगाह (Hambantota Port) के विकास के लिए कर्ज दिया. इस तरह वह अपनी नौसेना के लिए भी एक अड्डा हासिल करना चाहता था. श्रीलंका की पिछली सरकार भी चीन की ओर झुकी हुई थी और चीन वहां भारत विरोधी भावनाएं भड़काने में लगा था लेकिन चुनाव के बाद जब गोटबाया राजपक्षे सरकार सत्ता में आई तो उसका भारत के प्रति अनुकूल रुख हो गया. इस सरकार ने एलान किया कि वह अपने बड़े पड़ोसी देश भारत की कीमत पर चीन से निकटता स्थापित नहीं करेगी तथा श्रीलंका और भारत के बीच सदियों से ऐतिहासिक व सांस्कृतिक संबंध रहे हैं. श्रीलंका ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि उसने चीन से जो कर्ज लिया है, उसे वह धीरे-धीरे लौटा देगा. इसी तरह चीन ने नेपाल, मालदीव व बांग्लादेश को भी कर्ज देकर तथा राजनयिक स्तर पर प्रभाव डालकर भारत के खिलाफ बरगलाने की कोशिश में कोई कसर बाकी नहीं रखी. नेपाल में तो चीनी राजदूत की सत्ता के गलियारों तक सीधी पैठ हो गई थी.

नेपाल पर चीन का दबाव

चीन के दबाव व बहकावे में आकर नेपाल ने भारत के लिपुलेख, लिपियाधुरा और काला पानी जैसे क्षेत्रों को अपना भूभाग बताने वाला बिल पारित करा लिया. नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली (KP Sharma Oli) को डर बना हुआ था कि यदि वह चीन के इशारे पर नहीं चले तो चीन एक अन्य कम्युनिस्ट नेता पुष्पदहल कमल प्रचंड को समर्थन देकर नेपाल का प्रधानमंत्री बना देगा. अब भी नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी में विभाजन तय माना जा रहा है. प्रचंड ने फिर ओली के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. ऐसे में ओली खुद ही पार्टी में विभाजन करवा सकते हैं. पिछले 2 वर्षों में ओली की छवि भारत विरोधी रही है.

जनरल नरवणे, अजीत डोभाल की सक्रियता 

सीमा विवाद के बीच भारतीय सेना के प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे (Manoj Mukund Naravane) भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला और रॉ चीफ सामंत गोयल ने नेपाल का दौरा कर वहां के नेतृत्व को समझाया है कि वह अपना हित चाहता है तो चीन की चालबाजियों से दूर रहे और भारत से बैर न करे. भारत की उच्चस्तरीय कोशिशों के बाद चीन के रक्षा मंत्री जनरल वेई फेंग ही भी नेपाल पहुंचे. वे नेपाल-चीन के बीच द्विपक्षीय सैन्य सहयोग बढ़ाने पर चर्चा करेंगे और चीनी सेना में गोरखों की भर्ती का प्रस्ताव भी रखेंगे. अभी गोरखा नेपाल के अलावा भारतीय और ब्रिटिश सेना में हैं. पड़ोसी देशों से भारत की दोस्ती पर चीन बौखला गया है. चीन ने आरोप लगाया कि भारत छोटे देशों को डरा रहा है तथा भारत नेपाल के घरेलू मुद्दों में दखल देता है. श्रीलंका पहुंचकर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने चीन की कारस्तानियों के प्रति वहां के नेतृत्व को आगाह किया व समझाया कि भारत से सहयोग बनाए रखने में ही श्रीलंका का हित है. चीन की अरब सागर में दखलंदाजी नहीं चल पाएगी क्योंकि क्वाड देशों (भारत, अमेरिका, आस्ट्रेलिया व जापान) की नौसेनाएं चीन पर कड़ी नजर रखेंगी.