मैं अब भी असली सीएम सपनों की दुनिया में खोए हैं देवेंद्र

    Loading

    पद खो देने की कसक नेता को चैन नहीं लेने देती. वह इस कटु वास्तविकता को स्वीकार करने का मन नहीं बना पाता कि वह अब सत्ता में नहीं है. सरकार और प्रशासन दोनों उसके हाथों में नहीं हैं. महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की हालत कुछ ऐसी ही है. वे कहते हैं कि जिस तरह से मैं लोगों और अपने नेताओं से जुड़ा हूं, मुझे लगता है कि मैं अब भी राज्य का मुख्यमंत्री हूं. नवी मुंबई में महिला मछली विक्रेता लाइसेंस वितरण समारोह में देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि जब से आप जैसे नेता मेरे पीछे हैं, मुझे कभी नहीं लगा कि मैं राज्य का मुख्यमंत्री नहीं हूं.

    कोई भी शख्स किस पद पर है, यह मायने नहीं रखता. महत्व इस बात का है कि वह करता क्या है. मैं पिछले 2 वर्षों से एक दिन भी बिना घर में बैठे हुए जनता की सेवा में लगा हूं, इसलिए लोगों ने मुझे यह अहसास नहीं होने दिया कि मैं अब मुख्यमंत्री नहीं हूं. देवेंद्र फडणवीस 2019 के विधायक चुनाव प्रचार के दौरान अपने इस संवाद ‘मैं फिर आऊंगा’ को लेकर काफी चर्चित रहे. यूं तो किसी भी नेता को हक है कि वह पद पर पुन: वापसी की सुखद कल्पना करे लेकिन राजनीति अनिश्चितता का खेल है.

    शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की महाविकास आघाड़ी अपने विरोधाभासों के बावजूद चल रही है. बीजेपी को राज्य की सत्ता से बाहर रखने के समान उद्देश्य से इन तीनों पार्टियों ने आपस में हाथ मिलाया है. एनसीपी से अजीत पवार को तोड़ने और सरकार बनाने का देवेंद्र का पैंतरा कुछ घंटे भी नहीं टिक पाया था. अजीत पवार तुरंत अपने चाचा शरद पवार के पास लौट गए थे. देवेंद्र को हकीकत समझनी चाहिए कि वे मुख्यमंत्री नहीं बल्कि नेता विपक्ष हैं और यह भी काफी जिम्मेदारी का पद है. वे सरकार की कमियों, गलत नीतियों और कदमों को उजागर कर सकते हैं, विधानसभा में तीखी बहस कर सरकार को आड़े हाथ ले सकते हैं. मुख्यमंत्री पद का अनुभव वे पहले ही ले चुके हैं, इसलिए सपनों में जीने से कोई फायदा नहीं है. हाल-फिलहाल ऐसे कोई आसार नहीं हैं कि महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन होगा.