nishanebaaz-How will the train journey of migrants in the future

‘बदलते हुए परिवेश में बदली हुई जीवन शैली के साथ जीने की आदत डाल लीजिए। आने वाले समय में रेलवे स्टेशन पर भीड़ नदारद रहेगी। एयरपोर्ट के समान अकेला पैसेंजर भीतर जा सकेगा।

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पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, हमें इस बात की चिंता सता रही है कि सामान्य प्रवासी जब भविष्य में ट्रेन यात्रा करेगा तब कैसी औपचारिकता होगी और इस यात्रा के लिए कितनी खटपट करनी पड़ेगी?’’ हमने कहा, ‘‘बदलते हुए परिवेश में बदली हुई जीवन शैली के साथ जीने की आदत डाल लीजिए। आने वाले समय में रेलवे स्टेशन पर भीड़ नदारद रहेगी। एयरपोर्ट के समान अकेला पैसेंजर भीतर जा सकेगा। कम्पार्टमेंट तक छोड़ने और सामान चढ़ाने के लिए मित्र या परिवार के सदस्यों को ट्रेन तक जाने की अनुमति नहीं होगी।’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, इतना तो हम एडजस्ट कर लेंगे लेकिन और तो कोई दिक्कत नहीं आएगी?’’ हमने कहा, ‘‘भविष्य में ऐसा नहीं होगा कि घर से निकले और सीधे जाकर ट्रेन में सवार हो गए। प्रवास के लिए बाकायदा अप्लीकेशन देनी होगी। इसके बाद आपसे पूछा जा सकता है कि यात्रा क्यों करना चाहते हैं? जहां जाओगे वहां अपना और दूसरे का भी वक्त बरबाद करोगे, जाकर करोगे भी क्या! अच्छे-अच्छे समझदार लोग भी अपनी जिंदगी का लक्ष्य या गंतव्य तय नहीं कर पाते, तुमने कैसे अपनी मंजिल खोज ली? जीवन में स्थिरता रहनी चाहिए, भटकाव नहीं! ट्रेन तुम्हें एक से दूसरे स्थान पर ले जाकर भटकाती है। इसलिए सफर करने से पहले पुनर्विचार कर लो। ट्रेन न हमारा चरित्र बदल सकती है, न भाग्य! अच्छे-भले बुलट ट्रेन के सपने को कोरोना का ग्रहण लग गया। ट्रेन कैसी भी हो, उसमें लिखा रहेगा कि ईश्वर आपकी यात्रा सफल करे। वैसे भी ट्रेन यात्रा में ईश्वर के सिवा आपका है ही कौन! ट्रेन में जो बैठ गया उसकी सीट, जो लेट गया उसकी बर्थ!’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, इतनी आनाकानी के बावजूद यदि प्रवासी ट्रेन यात्रा को लेकर अड़ ही गया तो उसे क्या कहा जाएगा?’’ हमने कहा, ‘‘उससे कहा जाएगा कि पुलिस या तहसील आफिस से संपर्क करो। अपना राशन कार्ड और आधार कार्ड दिखाओ। यात्रा के वैध उद्देश्यों के साथ आवेदन करो। यदि मंजूरी मिल जाएगी तो उसकी ऑनलाइन सूचना मिलेगी। मोबाइल पर मैसेज मिले तो डेढ़ घंटा पहले स्टेशन पर आओ। पहले तुम्हारी स्क्रीनिंग होगी, फिर हाथ में सैनिटाइजर लगाने के बाद तुम्हें गेट से प्लेटफार्म के भीतर जाने दिया जाएगा। ट्रेन में मास्क लगाकर डिस्टेंस रखकर बैठना होगा। अपने खाने-पीने का सामान और खुद की चादर साथ में लाना। चादर साफ धुली हुई होनी चाहिए। ऐसा बिल्कुल मत गाना- ‘मैली चादर ओढ़ के कैसे द्वार तिहारे जाऊं। चादर या चुनरी, किसी में भी दाग नहीं होना चाहिए। सरकार सिस्टम से चलती है। आपको यात्रा करनी है तो हर शर्त पूरी करनी होगी। यह समझना होगा कि ऊखल में सिर दिया तो मूसल से क्या डरना!’’