पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, कांग्रेस के बाद अब राजस्थान बीजेपी में भी फूट पड़ गई. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने तेवर दिखाए हैं. उनकी नाराजगी से पार्टी पहले ही डरी हुई है. इसलिए उसने वसुंधरा समर्थक 20 विधायकों को अहमदाबाद भेज दिया है. इन सभी को वहां के लग्जरी होटल में रखा गया है. एक तरह से इन विधायकों की बाड़ाबंदी की गई है.’’ हमने कहा, ‘‘राजस्थान के विधायकों की बल्ले-बल्ले है. पहले कांग्रेस के पायलट समर्थक विधायकों को हरियाणा ले जाकर वहां के आलीशान होटल में ठहराया गया. मुख्यमंत्री गहलोत ने अपने विधायकों को अलग ठहराया ताकि वे छिटक न जाएं. अब यही नौबत बीजेपी के साथ भी आ गई है. आखिर विधायकों की अपनी पार्टी के प्रति निष्ठा है भी या नहीं?’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, विधायक राजनीति में गोलियां खेलने नहीं आते.
उन्हें या तो पद चाहिए या मोटी रकम! विधायक चाहे जिस पार्टी के हों, मौके की ताक में रहते हैं. वे टिकाऊ नहीं बल्कि बिकाऊ होते हैं. राजनीति घोड़ाबाजार बन गई है. जो ऊंचा दाम दे वह लगाम पकड़ कर अपने साथ ले जाए. राजनीति के अश्वमेध यज्ञ का यह आधुनिक रूप है.’’ हमने कहा, ‘‘वसुंधरा राजे ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से कह दिया कि वे पार्टी के साथ हैं लेकिन स्वाभिमान से कोई समझौता नहीं करेंगी.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, बीजेपी की चिंता यह है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वसुंधरा राजे से अच्छे संबंधों की वजह से उनके समर्थक विधायकों को अपने पाले में लाने की कोशिश की थी इसलिए बीजेपी नेतृत्व सतर्क हो गया और वसुंधरा गुट के विधायकों को गुजरात पहुंचा दिया. राजस्थान में 14 अगस्त से विधानसभा सत्र शुरू होगा जिसमें सीएम गहलोत विश्वास प्रस्ताव पेश कर सकते हैं. इसीलिए बीजेपी ने एहतियात बरती है.’’ हमने कहा, ‘‘विधायकों को न कोरोना की फिक्र है न चीन के खतरे की! वे तो सिर्फ मौका देखकर माल कमाने की ताक में हैं. कांग्रेस और बीजेपी दोनों को चिंता है कि कोई उनके विधायकों को फोड़ न ले.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, इसीलिए तो यह विधायक फाइवस्टार की विलासिता में रखे गए हैं. वे बढ़िया से बढ़िया खाएं-पीएं. स्विमिंग पूल में मस्ती करें और छप्पर फाड़कर बरसनेवाली दौलत के सपने देखते हुए होटल के अपने कमरे में मखमली गद्दे पर नींद लें. उनकी यह शाही खातिरदारी कुछ सोचकर ही की जा रही है.’’