पवार से हो गई बात एकनाथ खड़से छोड़ेंगे बीजेपी का साथ

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पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज,  (Nishanebaaz) महाराष्ट्र बीजेपी के वरिष्ठ नेता एकनाथ खड़से(Eknath Khadse) की एनसीपी में एंट्री पक्की समझी जा रही है. वे अपनी उपेक्षा से तंग आ चुके हैं और बीजेपी से कहना चाहते हैं- खुश रहो अहले वतन, हम तो सफर करते हैं. हमें बताइए कि क्या नाथ के जाने से बीजेपी अनाथ हो जाएगी?’’ हमने कहा, ‘‘कैसी बात कर रहे हैं! बीजेपी जैसी शक्तिशाली पार्टी को कोई फर्क नहीं पड़ता. वह कह सकती है- कोई आए, कोई जाए, मेरी लाख दुआएं पाए! जाने वाले को आज तक कौन रोक पाया है? औपचारिकता निभानी है तो जाने वाले मुसाफिर से पूछो कि वो कहां जा रहा है? बीजेपी कभी शिकायत नहीं करेगी कि हमसफर साथ अपना छोड़ चले, रिश्ते-नाते वे सारे तोड़ चले.

एकनाथ खड़से उर्फ नाथाभाऊ के शरद पवार से मिलने के बाद उनकी एनसीपी में जाने की चर्चा ने फिर एक बार गति पकड़ ली है.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, क्या बीजेपी अपने इस पुराने नेता से एक बार अनुरोध करके यह नहीं कह सकती कि जाते हो तो जाओ पर जाओगे कहां, बाबूजी तुम ऐसा दिल पाओगे कहां? पार्टी बड़ा दिल रखकर यह भी तो कह सकती है- रूठा है तो मना लेंगे!’’ हमने कहा, ‘‘ऐसी कोई उम्मीद मत रखिए. एकनाथ खड़से को देवेंद्र फड़णवीस से स्पर्धा के चलते महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनने का मौका नहीं मिल पाया जबकि एक समय वे राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता थे. आज तक पश्चिम महाराष्ट्र, मराठवाड़ा और विदर्भ ने राज्य को अनेक मुख्यमंत्री दिए लेकिन उत्तर महाराष्ट्र से एक भी सीएम नहीं बना. उत्तर महाराष्ट्र के खड़से को इस अवसर से वंचित रखा गया. हाल ही में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगतप्रकाश नड्डा ने पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा की जिसमें महाराष्ट्र से पंकजा मुंडे और विनोद तावड़े को शामिल किया गया लेकिन एकनाथ खड़से को पूछा भी नहीं गया. आखिर कौन कितना बर्दाश्त करेगा! पार्टी से न्याय नहीं मिल पा रहा है.

इंतेहा हो गई इंतजार की. अब तो खड़से के मन में यही बात गूंज रही है कि रहना नहीं, देश बेगाना है. आखिर वे किस उम्मीद पर बीजेपी में टिके रहें. उन्हें मालूम पड़ गया कि इन तिलों में तेल नहीं है, बीजेपी से अब कोई मेल नहीं है. आपको याद होगा कि एक समय प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि हम तो फकीर आदमी हैं, कभी भी झोला-डंडा उठाकर चल देंगे. कुछ ऐसी ही मन:स्थिति खड़से की हो चली है.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, इसी दौरान केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने खड़से से अपील की कि वह एनसीपी में शामिल होने की बजाय आरपीआई में शामिल हो जाएं. हमें नहीं लगता कि नाथाभाऊ ऐसा ऑफर मंजूर करेंगे.’’ हमने कहा, खड़से के नाम से हमें यह तुकबंदी याद आती है- खड़क सिंह के खड़कने से खड़कती हैं खिड़कियां, खिड़कियों के खड़कने से खड़कता है खड़क सिंह! खड़से ने भी बीजेपी नेतृत्व के दरवाजे खड़खड़ा कर देख लिए. अब शीघ्र निर्णय लेकर खड़से को खट से बीजेपी छोड़ देनी चाहिए. जहां सम्मान और कद्र नहीं है, वहां क्या रहना!’’