बंगाल में गड़बड़ घोटाला, गवर्नर धनखड़ का ममता से पड़ा पाला

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच रिलेशनशिप ऐसी रहनी चाहिए कि तू मुझे कबूल, मैं तुझे कबूल, इस बात का संविधान गवाह! बंगाल में ऐसी बात नहीं है. वहां गवर्नर जगदीप धनखड़ और सीएम ममता बनर्जी का एक दूसरे से छत्तीस का आंकड़ा है. उनकी आपस में इतनी तनातनी है कि ‘मिले सुर मेरा तुम्हारा’ की कल्पना ही नहीं की जा सकती.’’ 

    हमने कहा, ‘‘यह झगड़ा तो कितने ही वर्षों से चल रहा है. एक बार चांसलर होने के नाते राज्यपाल धनखड़ जाधवपुर यूनिवर्सिटी के कॉन्वोकेशन में जाना चाहते थे लेकिन ममता ने उन्हें सरकारी हेलीकाप्टर उपलब्ध नहीं कराया. इस वजह से खराब सड़कों से होकर गवर्नर को कार से 8 घंटे सफर करना पड़ा था.’’ 

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, पुरानी बात छोड़िए. अभी दीदी ने राज्यपाल का टि्वटर अकाउंट ब्लाक कर उन्हें सूचनाओं से वंचित कर दिया. ममता का आरोप है कि धनखड़ राजभवन का इस्तेमाल बंगाल में जासूसी करने और फोन टेप करने के लिए करते थे. दिल्ली में यदि पेगासस है तो यहां मोदी सरकार ने गवर्नर के रूप में सुपर पहरेदार को तैनात कर रखा है. एक मनोनीत राज्यपाल के सामने राज्य की निर्वाचित सरकार बंधुआ मजदूर बनकर रह गई है. ममता ने इल्जाम लगाया कि गवर्नर बीजेपी के गुंडों को टीएमसी कार्यकर्ताओं की हत्या के लिए उकसा रहे हैं.’’ 

    हमने कहा, ‘‘ममता के आरोप मनगढ़ंत भी तो हो सकते हैं. राजभवन में रेस्ट करने वाला बुजुर्ग राज्यपाल यह सब क्यों करेगा?’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘ऐसा मत समझिए निशानेबाज! टीएमसी सांसद सुदीप बंदोपाध्याय ने राष्ट्रपति से भेंट कर राज्यपाल धनखड़ को हटाने की मांग की है. कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने भी इस मांग का समर्थन किया है. कुछ राज्यपालों से राज्य सरकारों को शिकायत बनी रहती है, फिर वे चाहे बंगाल के गवर्नर धनखड़ हों या महाराष्ट्र के राज्यपाल कोश्यारी. वे नहीं चलने देते राज्य सरकार की होशियारी!’’