BJP के साथ नहीं है समस्या पुरानों को संभाल खोजती है नया

    Loading

    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि हमारी पार्टी पुरानों को संभालकर नए की खोज करती है. हम यह भी देखते हैं कि नया चल सकेगा या नहीं?’’ हमने कहा, ‘‘इसमें कोई शक नहीं कि पार्टी को पुरानों से बहुत मोह है. उसके नेता पौराणिक कथाओं के आधार पर बताते हैं कि प्राचीन काल में हमारे यहां विज्ञान बहुत आगे था. गणेश को हाथी का सिर और दक्ष प्रजापति को बकरे का सिर लगाया गया था. हमारे देश में मौत से बचाने वाली संजीवनी थी. अश्विनीकुमारों ने बूढ़े च्यवन ऋषि को जवान बना दिया था. जब सारी दुनिया के लोग जंगली थे तब भारत का विज्ञान उंचाइयों पर था. हमारे ऋषि-मुनि वैज्ञानिक थे और उनके आश्रम प्रयोगशालाएं थीं.

    हमारा आयुर्वेद विश्व की सबसे पुरानी चिकित्सा प्रणाली है.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, नड्डा का यह मतलब नहीं था. उनका कहना है कि पार्टी और प्रधानमंत्री मोदी ने युवा नेतृत्व को बढ़ावा दिया है लेकिन साथ ही हम पुरानों की भी फिक्र करते हैं.’’ हमने कहा, ‘‘बीजेपी पुराने नेताओं की कितनी फिक्र और साज-संभाल करती है, यह बात तो लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, शांता कुमार और सुमित्रा महाजन से पूछनी होगी जिन्हें लगभग भुला दिया गया है. वैसे देखा जाए तो सक्रिय राजनीति से हटाकर बुजुर्ग नेताओं को राज्यपाल बनाने का सिलसिला काफी पुराना है. ऐसे बूढ़े नेताओं के लिए राजभवन आरामगाह बन जाते हैं.

    अब यह भी देखना है कि राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए बीजेपी किस बुजुर्ग नेता को मौका देती है! यदि वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को एक और कार्यकाल नहीं देना है तो उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू को राष्ट्रपति बनाया जा सकता है.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘नायडू राज्यसभा के सभापति के रूप में ही ठीक हैं. जैसे गुलाम नबी आजाद के रिटायर होने पर प्रधानमंत्री मोदी की आंखें भर आई थीं, वैसे ही राज्यसभा में विपक्ष के हंगामे से दुखी होकर नायडू की आंखों में आंसू छलक आए थे. मोदी पुराने नायडू को वहीं रखकर राष्ट्रपति के लिए कोई नया चेहरा खोज निकालेंगे. नए-पुराने के खेल में बीजेपी काफी प्रवीण है.’’