लोगों के दिल में रहतीं, तो चुनाव कैसे हारीं वसुंधरा?

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, रस्सी जल जाती है लेकिन उसके बल कायम रहते हैं. राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कुछ ऐसे ही तेवर दिखाए हैं. बीजेपी के पोस्टर में उनकी तस्वीर नहीं छापी गई. एक तरह से यह वसुंधरा राजे को पार्टी की ओर से करारा झटका है. पोस्टर विवाद ने जब जोर पकड़ा तो वसुंधरा ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि मैं पोस्टर राजनीति में विश्वास नहीं करती, बल्कि लोगों के दिलों में रहना चाहती हूं.’’ हमने कहा, ‘‘यदि वे लोगों के दिल में रहतीं तो चुनाव कैसे हारीं? राजस्थान के लोगों ने उनसे कभी नहीं कहा कि पल पल दिल के पास तुम रहती हो. जनता जब किसी को दिल से उतार देती है, तभी पार्टी या उम्मीदवार को चुनाव में विफलता झेलनी पड़ती है.

    राजनीति में दिल से ज्यादा दिमाग का काम होता है. होशियार उम्मीदवार कभी किसी से दिल नहीं लगाता. वह जानता है कि दिल दिया, दर्द लिया!’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, वसुंधरा राजे को बुरा तो अवश्य लगा होगा कि पोस्टर से फोटो गायब करके बीजेपी उनकी उपेक्षा कर रही है लेकिन वे कर भी क्या सकती हैं! यह बात सभी जानते हैं कि अपने राजसी मिजाज के कारण वसुंधरा राजे आम लोगों से घुलती-मिलती नहीं थीं. इसके विपरीत कांग्रेस के सचिन पायलट ने अपनी जी-तोड़ मेहनत और व्यापक जनसंपर्क से पार्टी को विधानसभा चुनाव में जिताया था. जनता ऐसे नेता को पसंद करती है जो कहता है- दिल से मिला के दिल प्यार कीजिए, कोई सुहाना इकरार कीजिए.

    बीजेपी को भी समझ में आ गया कि वसुंधरा राजे का पार्टी के लिए कोई खास उपयोग नहीं है.’’ हमने कहा, ‘‘वसुंधरा कह रही हैं कि लोग मुझे मेरे काम से याद रखें, यही मेरे लिए आशीर्वाद है. 30 वर्षों में मैंने यही कमाया है. जब मैं पहली और दूसरी बार सीएम बनी थी और जयपुर पहुंची थी तो हर जगह पर मेरे बड़े-बड़े पोस्टर थे जिन्हें मैंने तुरंत हटवाया था.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, अब वसुंधरा के लिए अंगूर खट्टे हैं. उन्हें पार्टी ने उनकी जगह बता दी है.’’