चन्नी की समस्या विकट, भाई को नहीं दिला पाए चुनावी टिकट

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, अपने देश की राजनीति में इतने वर्षों से भाई-भतीजावाद की परंपरा रही है लेकिन फिर भी पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीतसिंह चन्नी अपने भाई को विधानसभा चुनाव का टिकट नहीं दिला सके. उनसे इतना भाईचारा भी नहीं निभाया गया.’’ 

    हमने कहा, ‘‘चन्नी भी क्या करेंगे? वे बेबस मुख्यमंत्री हैं जिन पर बड़बोले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोतसिंह सिद्धू का दबाव बना हुआ है. वे चन्नी को चैन नहीं लेने देते. ऐसा माना जा रहा है कि यदि पंजाब के चुनाव में कांग्रेस जीती तो चन्नी की बजाय सिद्धू मुख्यमंत्री बन जाएंगे. ऐसी हालत में चन्नी कहीं के नहीं रहेंगे.’’ 

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, बाद में क्या होगा, वह अलग बात है, अभी तो चन्नी से उनका भाई खफा हो गया होगा कि उसे राजनीति की मलाई तो दूर, खुरचन खाने का भी मौका नहीं दिया. पंजाब में प्रकाशसिंह बादल ने सीएम रहते हुए अपने बेटे सुखबीर बादल को डिप्टी सीएम बनाया था. कितने ही नेता अपने नाते-रिश्तों के तमाम लोगों को आगे बढ़ाते हैं लेकिन चन्नी इतने मजबूर कैसे हो गए? उन्हें अपने भाई के टिकट की मांग को लेकर अड़ जाना था. क्या सीएम के पास कुछ टिकटें बांटने का ऐच्छिक कोटा नहीं होता?’’ 

    हमने कहा, ‘‘एक ही घर से कितने लोग राजनीति में जाएंगे? पहले ही बीजेपी कांग्रेस पर परिवारवाद का आरोप लगाती रहती है.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, फिल्म से लेकर खेलों तक आपको भाईचारा दिखाई देगा. फिल्मी दुनिया में अशोक कुमार, किशोर कुमार व अनूप कुमार, चेतन आनंद, देव आनंद और विजय आनंद, राज कपूर, शम्मी कपूर व शशि कपूर, फिरोज खान और संजय खान, रणधीर कपूर और ऋषि कपूर जैसे भाई रहे हैं. सलमान खान भी अपने दोनों भाइयों अरबाज और सुहैल का ध्यान रखते हैं. टेनिस में अमृतराज बंधु चर्चित रहे.’’ 

    हमने कहा, ‘‘एक बात समझ लीजिए कि चन्नी कोई पावरफुल मुख्यमंत्री नहीं हैं. कैप्टन अमरिंदर सिंह के कांग्रेस छोड़ने के बाद पार्टी ने चन्नी को सीएम की कुर्सी पर बिठा दिया. यह एक कामचलाऊ व्यवस्था है. चुनाव के बाद असली तस्वीर उभरेगी. चन्नी खुद को संभाल लें, इतना ही काफी है. उनके भाई को भी उनकी मजबूरी समझनी होगी.’’