पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, कहते हैं ऊपरवाला जब भी देता, पूरा छप्पर फाड़ के देता! कितने ही भाग्यवादी और निठल्ले किस्म के लोग इंतजार करते हैं कि छप्पर फाड़ कर उनके घर में दौलत बरसे लेकिन धन मेहनत से कमाया जाता है, इस तरह बरसता नहीं!’’
हमने कहा, ‘‘आपकी धारणा गलत है. कर्नाटक के 15 सरकारी अधिकारियों के ठिकानों पर जब एसीबी ने छापा मारा तो सीलिंग, साड़ियों की तह के अलावा ड्रेन पाइप से भी 50 लाख रुपए के नोटों के बंडल निकले. इसलिए सिर्फ छप्पर की ओर मत देखिए, पानी की निकासी करनेवाले ड्रेन पाइप पर भी नजर रखिए. भ्रष्ट और रिश्वतखोर अपनी दौलत कहीं भी छुपा सकते हैं!’’
पड़ोसी ने कहा, ‘‘यही वजह है कि दुनिया के भ्रष्ट देशों की सूची में भारत हर साल आगे बढ़ता जा रहा है. धन के प्रति मोह के कारण लोग अपने बेटे का नाम धनीराम या धन्नालाल रखते हैं. एक नेता का नाम धनिकलाल मंडल भी था. वैसे धन कमाने के लिए खास किस्म की अक्ल लगती है. कर्म के साथ कौशल भी चाहिए.
सत्यनारायण की कथा में अपने कर्म में कुशल साधु वणिक का उल्लेख है. धन कमाने में किताबी शिक्षा काम नहीं आती. इसके लिए प्रैक्टिकल नॉलेज और जोखिम लेने का साहस होना चाहिए. किस्मत मेहरबान तो मुकेश अंबानी और तकदीर रूठ जाए तो दिवालिया अनिल अंबानी!’’
हमने कहा, ‘‘जब धन तिजोरी में नहीं समाता तो ड्रेन पाइप तक में छुपा दिया जाता है. आपने अजय देवगन और ऋषभ शुक्ला की फिल्म ‘द रेड’ में देखा होगा कि एक दबंग के घर जब इनकम टैक्स का छापा मारा जाता है तो सीढि़यों, पिलर्स और स्लैब से भी नोटों की बारिश होने लगती है. वैसे धन की 3 स्थितियां हैं. या तो उसका उपयोग करो अथवा व्यापार करो जिससे वह सर्कुलेशन में रहे.
उसे दान करो ताकि गरीबों और जरूरतमंदों के काम आ सके. तीसरी स्थिति डेड मनी की रहती है जिसे लोग दुनिया की निगाह से छुपा कर रखते हैं. या तो यह चोरों के हाथ पड़ जाता है या फिर छापा मारनेवाले जब्त कर लेते हैं. इसीलिए कहा गया है- साईं इतना दीजिए जामें कुटुंब समाय, मैं भी भूखा ना रहूं, साधु न भूखा जाए.’’