पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज (Nishanebaaz) अरविंद केजरीवाल (Arvind kejriwal) की दिल्ली सरकार से हमें यह उम्मीद नहीं थी. आम आदमी पार्टी की सरकार आम आदमी के हितों के विपरीत काम कर रही है. इसने राजस्व बढ़ाने के लालच में डूबकर मद्यपान (Liquor) की न्यूनतम (Legal Drinking Age) उम्र 25 वर्ष से घटाकर 21 वर्ष कर दी है. इस तरह केजरीवाल ने नौजवानों को संदेश दिया है कि 21 साल के होने पर पीना शुरु कर दो.
यह तो समाज को बिगाड़ने और युवाओं को शराबी बनाने का कदम है जिसकी कड़ी निंदा की जानी चाहिए.’’ हमने कहा, ‘‘सरकार को क्यों दोष देते हैं. अपनी नई आबकारी नीति के अनुसार सरकार कोई भी शराब दुकान नहीं चलाएगी बल्कि सभी दुकानों को ठेके पर दे दिया जाएगा. ठेकेदार बेचेगा और पीने वाले अपना शौक पूरा करेंगे. दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि सरकार के इस कदम से वार्षिक रेवेन्यू में 20 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है. अभी दिल्ली के 850 प्रतिष्ठानों में से 40 प्रतिशत निजी हाथों में है. नई नीति लागू होने पर सारे शराब के ठेके निजी हाथों में चले जाएंगे.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, महात्मा गांधी ने कहा था कि शराब सभी अपराधों और पाप की जननी है.
इसे पीकर व्यक्ति अपना विवेक खो बैठता है. जरा सोचिए कि 21 साल की उम्र वाले नशे की हालत में गाड़ी चलाएंगे तो कितने एक्सीडेंट बढ़ेंगे! यौन अपराधों में भी वृद्धि होगी. नशे में मारपीट, खून खराबा भी हो सकता है. इसके अलावा युवाओं का स्वास्थ्य खराब होगा. लीवर और फेफड़े खराब होंगे.’’ हमने कहा, ‘‘केजरीवाल ने पहले ही इलाज के लिए मोहल्ला क्लीनिक खोल रखे हैं. वे शराब की बिक्री से ज्यादा राजस्व मिलने के बाद कुछ नशामुक्त केंद्र भी खोल सकते हैं. जिस नेता ने दिल्ली में सरकारी स्कूलों का स्टैंडर्ड सुधार दिया, उसकी नीयत पर शक क्यों करते हैं?’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज एक गलत कदम 10 अच्छे कामों पर पानी फेर देता है. आजादी की 75वीं वर्षगांठ आने वाली है और ऐसे समय केजरीवाल 21 वर्ष के युवाओं को पीने की आजादी का तोहफा दे रहे हैं.’’ हमने कहा, ‘‘आपने शेर सुना होगा उसकी बेटी ने उठा रखी है दुनिया सिर पर ये तो गनीमत है अंगूर के बेटा न हुआ! युवाओं को लिमिट में पीने के लिए गजल सुनाई जा सकती है- थोड़ी-थोड़ी पिया करो.’’