वर्करों को मुंहमांगा भत्ता, पार्टियों ने खोला पत्ता, बदलने लगी सत्ता

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, बीजेपी और कांग्रेस की राजनीति तू डाल-डाल, मैं पात-पात जैसी है. बीजेपी ने गुजरात में सीएम बदला तो कांग्रेस ने भी पंजाब का अपना मुख्यमंत्री बदल दिया. यह किस तरह की हड़बड़ी है?’’ हमने कहा, ‘‘न यह हड़बड़ी है, न गड़बड़ी! हर पार्टी चुनावी रेस में जीतने के लिए अरबी घोड़े पर दांव लगाने की सोच रही है. ऐसा समझ लीजिए कि पार्टियों ने खोला पत्ता और कुछ राज्यों में बदल गई सत्ता. विधानसभा चुनाव निकट आएंगे तो पार्टी वर्करों को मिलेगा मुंहमांगा भत्ता!’’ 

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, कांग्रेस ने न जाने किस छन्नी से छानकर चन्नी को पंजाब का सीएम बना दिया. यह कैसी चना जोर गरम वाली पॉलिटिक्स है? 1965 और 71 के युद्ध में भाग लेने वाली पलटन के कैप्टन अमरिंदर सिंह को विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले कांग्रेस ने क्विक मार्च करा दिया. अब उनकी जगह चरणजीत सिंह चन्नी को लाकर पार्टी को कौन सा चैन मिला? वैसे एक गाना है- प्यार बिना चैन कहां रे!’’ 

    हमने कहा, ‘‘चन्नी तो कुछ महीने के लिए डमी हैं, असली खिलाड़ी तो नवजोतसिंह सिद्धू हैं. पार्टी के पंजाब प्रभारी हरीश रावत ने कहा कि विधानसभा चुनाव सिद्धू के नेतृत्व में लड़े जाएंगे. बाद में उन्होंने कहा कि यह फैसला हाईकमांड करेगा कि किसकी अगुआई में चुनाव लड़ा जाएगा.’’ 

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘अभी तो और भी उलटफेर कई राज्यों में हो सकते हैं. जैसे शतरंज की बिसात पर मोहरे बदले जाते हैं, वैसे ही बीजेपी और कांग्रेस अपने शासित राज्यों में सीएम को बदलेंगी. खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है. कर्नाटक, उत्तराखंड और गुजरात के बाद बीजेपी मध्यप्रदेश में और कांग्रेस छत्तीसगढ़ में बदलाव कर सकती है. तीखे तेवर दिखाकर कलेवर बदलना आलाकमान का आला दर्जे का काम है. ऐसा मानकर चलिए कि चन्नी एक चिनगारी हैं तो सिद्धू एक शोला हैं. ऐसा बकबक करने वाला वाचाल नेता पार्टी को इलेक्शन में जरूरी है. सिद्धू के नखरे उठाना पार्टी की मजबूरी है.’’