कहीं खट्टे न निकलें अंगूर ऋषि सुनक PM पद से एक कदम दूर

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, ऋषि सुनक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनने से सिर्फ एक कदम दूर हैं. अंग्रेजों ने भारत को 200 साल तक गुलाम बनाकर रखा था. अब उन्हीं गोरों पर पहली बार एक भारतवंशी हुकूमत करेगा. यह कितनी गौरवपूर्ण बात होगी.’’

    हमने कहा, ‘‘ब्रिटेन को नया पीएम अक्टूबर में मिलेगा, तब तक बोरिस जानसन ही कामचलाऊ प्रधानमंत्री हैं. अभी सुनक को फूंक-फूंक कर कदम रखने होंगे. वैसे वे गा सकते हैं- कदम-कदम बढ़ाए जा, खुशी के गीत गाए जा! वे पीएम पद की कुर्सी को हसरत भरी निगाह से देखकर यह भी कह सकते हैं- मेरा तो जो भी कदम है, वो तेरी राह में है. यदि वे सचमुच पहले हिंदुस्तानी ब्रिटिश पीएम बन गए तो खुशी से गा उठेंगे- बड़े अरमान से रखा है बलम तेरी कसम, प्यार की दुनिया में ये पहला कदम!’’

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, विदेश में भारतीय मूल के और भी नेता हुए हैं. मारिशस के प्रथम राष्ट्रपति सर शिवसागर रामगुलाम बने और बाद में अनिरुद्ध जगन्नाथ. गुयाना में छेदी जगन प्रधानमंत्री बने थे. कमला हैरिस अमेरिका की उपराष्ट्रपति हैं. यदि ऋषि सुनक ब्रिटिश पीएम बन गए तो प्रधानमंत्री मोदी उन्हें गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित कर सकते हैं. मोदी ने जानसन को भी आमंत्रित किया था लेकिन कोरोना की वजह से वो नहीं आए थे. सुनक हमारे आमंत्रण को सुन लेंगे और अनसुनी नहीं करेंगे.’’

    हमने कहा, ‘‘आप अभी से भविष्य की अटकलें मत लगाइए. यद्यपि ऋषि सुनक इन्फोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति के जवाई हैं लेकिन फिलहाल आपकी सारी बातें हवा-हवाई हैं. एक बात साफ तौर पर समझ लीजिए कि यदि भारतीय मूल का कोई व्यक्ति विदेश में नेतृत्व करता है तो वह वहां के हितों की पहले फिक्र करता है. उसका भारत से कोई भावनात्मक लगाव नहीं रहता. भारत का पक्ष लेने या झुकता माप देने की उससे उम्मीद मत रखिए.’’

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘कुछ भी हो निशानेबाज, यदि सुनक भारत आए तो उनको सुन सायबा सुन, प्यार की धुन गीत सुनाया जा सकता है. उन्हें वह गीत भी पसंद आएगा- सुन, सुना, आती क्या खंडाला!’’