न मालूम कब बदल दिए जाएं, दिल्ली बुलावे पर कांप जाते हैं BJP के CM

    Loading

    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, आपको याद होगा कि नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने नारा दिया था- दिल्ली चलो! दिल्ली जाने के नाम पर नेताओं में उत्साह उमड़ पड़ता था. दिल्ली से दिल लगानेवाला राजनीतिज्ञ सफल माना जाता था. राज्यों के महत्वाकांक्षी नेता मानकर चलते थे कि अब दिल्ली दूर नहीं! अशोक कुमार की बहुत पुरानी फिल्म झूला का गीत था- मैं तो दिल्ली से दुल्हन लाया रे, ऐ बाबूजी. दिल्ली के चरित्र में राजनीतिक साजिशें, उतार-चढ़ाव, उलटफेर जैसे लक्षण निहित हैं. देश के कोने-कोने से लोग दिल्ली का लाल किला और कुतुबमीनार देखने जाते हैं. 

    राजनीति का राजपथ अगर कहीं है तो दिल्ली में! अंग्रेजों ने भारत में हुकूमत करते समय पहले अपनी राजधानी कोलकाता को बनाया था लेकिन फिर इसे दिल्ली शिफ्ट कर लिया. यूं तो इतिहास में कई सनकी शासक रहे हैं लेकिन मोहम्मद बिन तुगलक ऐसा सनकी बादशाह था जिसने राजधानी को दिल्ली से हटाकर दौलताबाद (महाराष्ट्र के देवगिरि) ले जाने की ठानी और सारे दिल्लीवासियों को दिल्ली छोड़कर दौलताबाद चले जाने का हुक्म दिया था.’’ हमने कहा, ‘‘आज आप दिल्ली की इतनी चर्चा क्यों कर रहे हैं?’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, बीजेपी के मुख्यमंत्री दिल्ली का बुलावा मिलते ही कांप जाते हैं. 

    उनके पैरों तले से जमीन खिसकने लगती है. दिल्ली के एक हुक्म पर बीजेपी शासित राज्य का सीएम बदल दिया जाता है. उसे संभलने का मौका भी नहीं मिलता. अब हिमाचल के सीएम जयराम ठाकुर को दिल्ली तलब किया गया है. वे भी सोच रहे होंगे – आगे क्या होगा रामा रे!’’ हमने कहा, ‘‘बीजेपी को राज्यों में जोशीला और जुझारू नेता चाहिए जो आगे चलकर चुनाव जिता सके. उसे रेस का फुर्तीला घोड़ा चाहिए, थका हुआ टट्टू नहीं! इसीलिए पार्टी ताश के पत्तों के समान मुख्यमंत्री बदल रही है. 

    उत्तराखंड में कुछ महीने में कई सीएम बदले गए. पहले त्रिवेंद्रसिंह रावत, फिर तीरथसिंह रावत और उसके बाद पुष्करसिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाया गया. कर्नाटक में बुजुर्ग येदियुरप्पा को बाहर कर बसवराज बोम्मई को सीएम बनाया. असम में चुनाव के बाद सर्वानंद सोनोवाल की जगह हिमंत बिस्वा सरमा को कमान सौंपी गई. हाल ही में गुजरात में विजय रूपाणी को हटाकर उनकी जगह भूपेंद्र पटेल को सीएम बनाया गया. अब बीजेपी की तिरछी नजर मध्यप्रदेश, गोवा और त्रिपुरा के अपने मुख्यमंत्रियों पर है. सभी डरे हुए हैं कि हाईकमांड का सम्मन न आ जाए कि चलो बुलावा आया है, दिल्ली ने बुलाया है!’’