खत्म हो अंग्रेजों वाला ड्रेस कोड, वकील क्यों पहनें गर्म मौसम में कोट

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, शैलेंद्रमणि त्रिपाठी नामक वकील ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की है कि देश भर की अदालतों व उच्च न्यायालयों में वकीलों को गर्मियों के दौरान काला कोट और गाउन पहनने से छूट दी जाए. त्रिपाठी का कहना है कि भीषण गर्मी में कोट पहनकर एक अदालत से दूसरी अदालत में जाना वकीलों के लिए काफी मुश्किल भरा होता है.’’ हमने कहा, ‘‘यह मांग तो बहुत पहले की जानी चाहिए थी. आजादी के 75 वर्ष बाद भी वकीलों के लिए अंग्रेजों के समय का ड्रेस कोड लागू है जिसमें जरा-सा भी बदलाव नहीं आया है.

    देश के मौसम को देखते हुए इसमें परिवर्तन जरूरी है. मई-जून के महीने में जब गर्मी पूरे शबाब पर रहती है और तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से भी ऊपर चला जाता है, तब हाईकोर्ट में कोट और गाउन पहनने वाले वकील की क्या हालत होती होगी! वह तो भट्टी में उबलते आलू जैसा हो जाता होगा.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, इंडियन बार काउंसिल के नियमों के तहत तय ड्रेस कोड के मुताबिक अधिवक्ता के लिए सफेद शर्ट, काला कोट और सफेद नेकबैंड लगाना जरूरी है. कुछ लोग ऐसा भी कहते हैं कि काले कोट पर लगी कालिख नजर नहीं आती.

    वकील जिस अपराधी का बचाव करता है, उसकी सारी काली करतूतें इस काले कोट की आड़ में छिप जाती हैं.’’ हमने कहा, ‘‘कितने ही विश्वविद्यालयों के दीक्षांत समारोह में डिग्री लेने के लिए गाउन पहनने की बाध्यता खत्म हो गई. इसी तरह गर्मी के महीनों में वकीलों को भी सिर्फ सफेद शर्ट पर 2 पट्टियों वाला नेकबैंड लगाकर अदालत में आने की इजाजत दी जानी चाहिए. कोट और गाउन की अनिवार्यता से ज्यादा महत्वपूर्ण है वकील का कानूनी ज्ञान, जिरह करने का तरीका और बुद्धि चातुर्य. वह अपने अनुशासित आचरण से अदालत का पूरा सम्मान कर सकता है. इसके लिए काले कोट की बंदिश खत्म की जानी चाहिए.’’