भारत में हुए दानी और महादानी इस समय चर्चा में गौतम अदानी

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, देखते ही देखते वक्त कितना बदल जाता है. जो कल तक अर्श पर थे, वे फर्श पर आ जाते हैं. या तो यह कर्मों का फल है या फिर नसीब अपना-अपना! गौतम अदानी को ही देखिए, कैसे संकट से गुजर रहे हैं.’’

    हमने कहा, ‘‘अदानी की बजाय किसी दानी की बात कीजिए. हमारे देश में एक से एक बढ़कर दानी हुए हैं. राजा बलि ने अपने गुरु शुक्राचार्य की चेतावनी नजरअंदाज कर दी और वामन रूपी विष्णु भगवान को दान देने के संकल्प पर अडिग रहे. वामन ने त्रिविक्रम का विशाल रूप धारण कर एक पग में पृथ्वी, दूसरे में आकाश नाप लिया और तीसरा कदम बलि के सिर पर रखकर उसे पाताल भेज दिया. कहते हैं कि सप्त चिरंजीव या 7 अमर लोगों में राजा बलि भी हैं.

    अन्य 6 हैं- वेदव्यास, कृपाचार्य, अश्वत्थामा, परशुराम, हनुमान और विभीषण! दूसरे महादानी थे सूर्यपुत्र कर्ण जिन्होंने अपने कवच-कुंडल इंद्र को दान कर दिए थे. यदि वे कवच नहीं त्यागते तो अर्जुन के बाण उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकते थे. अपने प्राण से ज्यादा महत्व कर्ण ने दान को दिया. महर्षि दधीचि ने वज्र बनाने के लिए अपनी अस्थियों का दान देवराज इंद्र को कर दिया था. राजा शिवि ने कबूतर की जान बचाने के लिए उसके बदले अपने शरीर का मांस काट-काट कर दान कर दिया था.’’

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, हम किसी दानी की नहीं, बल्कि अदानी की बात कर रहे हैं जो चारों तरफ से मुसीबत झेल रहे हैं. हिंडनबर्ग के हिंडोले ने उन्हें हिलाकर रख दिया. किसी ने सोचा भी न था कि मोदी के मित्र के साथ ऐसी मुश्किलें आएंगी. हमारा ख्याल है कि गौतम अदानी को गौतम बुद्ध के बताए हुए 4 आर्य सत्यों के बारे में पढ़ना चाहिए. भगवान बुद्ध ने कहा था कि मानव इच्छाएं रखता है, इच्छाएं अनंत हैं. इनकी पूर्ति नहीं होने से दुख होता है. यह संसार ही दुखमय है.’’

    हमने कहा, ‘‘नामी उद्योगपति कभी ऐसा नहीं सोचते. वे सोते-जागते अपने बिजनेस एम्पायर या व्यवसाय साम्राज्य को बढ़ाने का विचार करते रहते हैं. अदानी के बारे में कुछ कहने से पहले देखिए कि उन्होंने मुंबई, दिल्ली और हैदराबाद के एयरपोर्ट कितने बढि़या और वर्ल्डक्लास बना दिए. गुजरात में पोर्ट ट्रस्ट का शानदार काम कर रहे हैं. उतार-चढ़ाव जीवन का अंग है. इसीलिए कभी-कभी रंग में भंग हो जाता है.’’