सिर्फ यात्रा तक गहलोत-पायलट मनमिलाप, बाद में दिखाएंगे अपना रूआब

    Loading

    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कुछ ऐसा वेणुवादन किया कि अपनी दुश्मनी भूलकर अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच पैचअप या सुलह हो गई. पता नहीं उन्होंने कौन सी मुरली या बंसी बजाई कि दोनों नेता करीब आ गए. खबर है कि वेणुगोपाल ने पहले दोनों को बंद कमरे में मिलवाया फिर मीडिया के सामने दोनों के हाथ खड़े करवाकर कहा- दिस इज राजस्थान कांग्रेस हम पूरी तरह एक हैं.’’ 

    हमने कहा, ‘‘यह तो जमाने को दिखाना है. आपसी बैर कभी चुटकी बजाते दूर नहीं होता. गहलोत जानते हैं कि मुख्यमंत्री पद पर पायलट की नजर लगी हुई है. अपनी कुर्सी सलामत रखने के लिए उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष बनना स्वीकार नहीं किया था. जयपुर से हटना गहलोत को कदापि मंजूर नहीं था. सच तो यह है कि गहलोत-पायलट का मनमिलाप सिर्फ राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा तक है. 

    नेताओं के खाने के दांत और दिखाने के दांत अलग-अलग हुआ करते हैं. दोनों नेताओं को ऊपर से निर्देश आया होगा कि आपस में तुम्हारी कितनी भी अनबन हो, लेकिन इस समय आपस में दोस्ती का दिखावा करो. राहुल गांधी की यात्रा शीघ्र ही राजस्थान प्रवेश करनेवाली है. कांग्रेस को एकजुट दिखाने के लिए ऐसा नाटक या स्टंज शो करना बेहद जरूरी है.’’ 

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, हमें भी आश्चर्य हुआ कि पायलट को ‘गद्दार’ कहनेवाले गहलोत के विचार अचानक कैसे बदल गए? वेणुगोपाल ने कौन सी जादू की छड़ी घुमा दी जो गहलोत ने कहा कि जो नंबर वन नेता होता है उसके डिसिप्लिन में पार्टी चलती है. राहुल गांधी ने कहा कि दोनों नेता गहलोत और पायलट पार्टी के एसेट हैं तो उनके कहने के बाद डिस्कशन किस बात का! बात यहीं खत्म हो जाती है. 

    हमने कहा, ‘‘कांग्रेस नेतृत्व ने समझा दिया कि फिलहाल यात्रा में विघ्न मत डालो. अस्थायी तौर पर युद्ध विराम कर लो. अभी कर लो मनमिलाप बाद में दिखाना एक-दूसरे को रूआब!’’