जो सत्ता का वजन सहता, वही तो है दमदार नेता

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, कभी वजनदार नेताओं का जमाना हुआ करता था. उत्तरप्रदेश में गोविंदवल्लभ पंत और मध्यप्रदेश में रविशंकर शुक्ल जैसे कद्दावर तथा भारी-भरकम नेता थे. उनके व्यक्तित्व का जनता पर प्रभाव पड़ता था. अब नेता स्लिम और स्मार्ट बनना चाहते हैं.’’ 

    हमने कहा, ‘‘आपको गलतफहमी हो रही है. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का वजन भी अच्छा-खासा है. खास बात यह है कि गडकरी अपना वचन पूरी तरह निभाते हैं. उन्होंने उज्जैन के सांसद अनिल फिरोजिया को फिटनेस चैलेंज दिया था. गडकरी ने 7 महीने पहले अनिल से कहा था कि मोटापा घटाओगे तो हर किलो वजन कम करने पर 1,000 करोड़ रुपए दूंगा. फिरोजिया ने यह चैलेंज स्वीकार किया. 

    नियमित व्यायाम के अलावा रोज 7 किलोमीटर पैदल चलकर उन्होंने 5 महीने में अपना वजन 32 किलो घटा लिया. अब फिरोजिया का वजन 125 किलो रह गया है. गडकरी ने वादा निभाते हुए उन्हें 2300 करोड़ रुपए की विकास निधि दी है. सांसद की मांग के अनुसार उनके मालवा चुनाव क्षेत्र में जावरा, नागदा, उन्हाल, उज्जैन, पीथमपुर का रास्ता फोर लेन बनाया जाएगा. इस पर 2100 करोड़ रुपए की लागत आएगी. इस सड़क निर्माण के लिए 450 एकड़ जमीन अधिग्रहित की जाएगी.’’ 

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘नितिन गडकरी स्वयं भी काफी वजनदार रहे हैं. अभी उनका वजन 93 किलो है लेकिन उन्होंने अपना एक पुराना फोटो दिखाया जब उनका वजन 135 किलो था.’’ हमने कहा, ‘‘रावण ने कैलाश पर्वत, हनुमानजी ने द्रोणागिरी और श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाया था. आज के वेटलिफ्टर नेता बड़े मजे से सत्ता का बोझ उठाते हैं, जबकि आम जनता की किस्मत में महंगाई का भार उठाना लिखा है.’’