अपनी जिद में चूर केजरीवाल जरूर जाएंगे सिंगापुर

    Loading

    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जिद पकड़ ली है कि हर हाल में सिंगापुर जाकर रहेंगे जबकि दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने उनके सिंगापुर यात्रा के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है. सक्सेना के मना करने से आप नेता को सिंगापुर जाने में सक्सेस नहीं मिलेगी.’’

    हमने कहा, ‘‘सवाल है कि केजरीवाल इस तरह पूछ-पूछ कर काम क्यों करते हैं और हर समय बवाल क्यों खड़ा करते हैं? सिंगापुर जाना था तो किसी फ्लाइट से चुपचाप सरक लेते. राहुल गांधी से कुछ सीखें जो अचानक कभी भी विदेश चले जाते हैं. वे कहां गए, इसकी भनक उनकी पार्टी के नेताओं को भी नहीं लगती. रहस्यमय तरीके से फॉरेन ट्रैवल करने के बारे में केजरीवाल राहुल से टिप्स ले सकते हैं. दिल्ली का यही हाल है कि जब भी सीएम ने एलजी से परमिशन या मंजूरी मांगी, हमेशा इनकार सुनने को मिला. केजरीवाल को ऐसा ही कटु अनुभव पूर्व एलजी नजीब जंग और अनिल बैजल के समय आया. इसलिए केजरीवाल जो जी में आए, फौरन कर डालें, एलजी का दरवाजा न खटखटाएं.’’

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, हर काम नियमानुसार करना पड़ता है. ममता बनर्जी बंगाल में गवर्नर की कोई परवाह नहीं करतीं लेकिन केजरीवाल शराफत के साथ एलजी को आवेदन देकर पूछ लेते हैं.’’

    हमने कहा, ‘‘एलजी सक्सेना गलत नहीं हैं. उन्होंने कहा कि सिंगापुर में मेयरों का सम्मेलन है, वहां मुख्यमंत्री का क्या काम, इसलिए वहां मत जाइए. उस कार्यक्रम की चेयर सिर्फ मेयर के लिए है, किसी सीएम के लिए नहीं!’’

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, एलजी अपनी जगह सही हैं. केजरीवाल को सिंगापुर ही क्यों जाना है? वे नागपुर, कानपुर, जोधपुर, जयपुर, सोलापुर, कोल्हापुर, हमीरपुर, समस्तीपुर, जबलपुर, रायपुर, चंद्रपुर, बहरामपुर, अचलपुर, पंढरपुर भी तो जा सकते हैं.’’

    हमने कहा, ‘‘शायद केजरीवाल ने शम्मी कपूर और मारिया मेनाडो की 60 साल पुरानी फिल्म ‘सिंगापुर’ देखी होगी. उसमें गीत था- ‘देखो जी देखो, सुन लो ये बात, जीवन में एक बार आना सिंगापुर! शायद इसीलिए केजरीवाल सिंगापुर जाने को इतने बेताब हो उठे हैं.’’