100 वर्षों में विश्व के सबसे बड़े धनी थे जमशेदजी टाटा

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, भारत के जमशेदजी टाटा को पिछले 100 वर्षों का सबसे बड़ा दानदाता या महादानी माना गया है. एडेल-गिव फाउंडेशन ने विश्व के 50 बड़े दानशूरों की पहचान की है जिनमें टाटा नंबर वन पर रहे हैं. वर्तमान मूल्य के आधार पर उनका दिया हुआ दान सर्वाधिक 102.4 अरब डॉलर का माना गया है. उन्होंने 74.6 अरब डॉलर दान देने वाले अमेरिका के बिल-मेलिंडा गेट्स को पीछे छोड़ दिया है.’’ हमने कहा, ‘‘दान के मामले में भारत हमेशा अग्रणी रहा है. राजा बलि ने वामन को समूची पृथ्वी दान दे दी थी.

    राजा हरिश्चंद्र ने विश्वामित्र को सपने में पूरा राजपाट दान कर दिया था. जब उनकी नींद खुली तो उन्होंने विश्वामित्र को सचमुच सारा साम्राज्य दान कर दिया और खुद श्मशान में जाकर वहां के डोम के दास बन गए थे. महादानी कर्ण ने इंद्र को अपने कवच-कुंडल दान कर दिए थे जो कि जन्म से ही उनके शरीर से चिपके हुए थे. भारी बारिश में एक ब्राम्हण हवन के लिए सूखी लकड़ी मांगने आया तो कर्ण ने अपने महल के चंदन के स्तंभ काटकर दे दिए.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, हम आपसे  राजा बलि, हरिश्चंद्र या कर्ण की नहीं, बल्कि टाटा ग्रुप के संस्थापक जमशेदजी टाटा की बात कर रहे हैं. टाटा का स्टील आज भी सबसे मजबूत और बढ़िया माना जाता है.

    टाटा की चाय भी आपने पी होगी. टाटानगर की टाउन प्लानिंग देखते ही बनती है. टाटा ने नागपुर में एम्प्रेस मिल शुरू की थी. नागपुर युनिवर्सिटी को भी टाटा से बड़ी रकम दान दी थी. भारत में विमान सेवा शुरू करने का श्रेय भी टाटा परिवार को है. टाटा मेमोरियल कैंसर हास्पिटल मशहूर है. टाटा हमेशा दानशील रहे. समाज और देश को उन्होंने बहुत कुछ दिया और बदले में कोई राजनीतिक लाभ नहीं लिया. कहा जाता है कि अंबानी ने दौलत कमाई है लेकिन टाटा ने लोगों का प्यार और इज्जत! टाटा की नौकरी भी सबसे बढ़िया मानी जाती है.’’ हमने कहा, ‘‘विदेशी दानवीर तो बहुत बाद में हुए. अंग्रेजों के आने से पहले भारत इतना समृद्ध था कि समूचे विश्व का अर्थव्यवस्था का 24 प्रतिशत हिस्सा भारत के पास था. टाटा की दानशीलता हर भारतीय के लिए गौरव का विषय है. आपने टाटा की तारीफ में यह फिल्मी गीत सुना होगा- बिरला-टाटा वाह वाह, यहां का आटा वाह वाह, जूतों में बाटा वाह वाह, लड़की का चांटा वाह वाह!”